स्वदेशी आंदोलन, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अहम हिस्सा, आज आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने का आधार बन चुका है। यह आंदोलन न केवल आर्थिक स्वावलंबन को बढ़ावा देता है, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करता है। इस लेख में जानें स्वदेशी उत्पादों के महत्व और इसके सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ के बारे में।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव और ट्रंप टैरिफ को लेकर चेतावनी दी है। IMF के अनुसार, इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होगी और दोनों देशों को दीर्घकालिक नुकसान हो सकता है।
भारत में सोने की कीमतों ने तोड़ा रिकॉर्ड, 24 कैरेट सोना 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के पार पहुंचा। जानिए आपके शहर में क्या है ताज़ा रेट और क्यों निवेशक गोल्ड को बना रहे हैं पहली पसंद।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में रेपो रेट को लेकर अहम फैसला लिया है। RBI ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती करने का फैसला लिया है। पहले यह 6.50% था, जिसे घटाकर अब 6% कर दिया गया है। इसके चलते कार और होम लोन की EMI कम हो जाएगी।
जब से अमेरिका ने टैरिफ लागू किया है, तब से शेयर बाजार में हलचल चल रही है। टैरिफ के चलते कई देशों के बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली है। बाजारों में गिरावट होने से दुनियाभर के निवेशकों की बेचैनी बढ़ गई है।
अमेरिका की तरफ से भारत पर 26 फीसदी टैरिफ लगाया गया है, जोकि यूरोपियन यूनियन, जापान और साउथ कोरिया पर लगाए गए टैरिफ से ज्यादा है। कुछ लोगों का ये कहना है कि भारत पर जो टैरिफ लगाया गया है वो करीब 140 देशों से अधिक है।
कर्नाटक सरकार ने डीजल पर बिक्री कर 3% तक बढ़ा दिया, जिससे डीजल की कीमत ₹2 प्रति लीटर बढ़ गई। 1 अप्रैल से लागू इस वृद्धि का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया है। सरकार का कहना है कि इससे राजस्व बढ़ेगा, जबकि विपक्ष इसे जनता पर बोझ बता रहा है।
अमेरिकी टैरिफ के असर से सोने और चांदी की कीमतों में बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है। सोना 91,200 रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब पहुंच गया, जबकि चांदी 1,00,160 रुपये प्रति किलो पर बनी हुई है। जानिए आपके शहर में ताजा रेट और निवेश को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अप्रैल में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। महंगाई नियंत्रण में आने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए रेपो रेट को 6% तक घटाने की संभावना है।
1 अप्रैल से नए फाइनेंशियल ईयर 2025-2026 की शुरुआत हो रही है। इसके साथ ही इनकम टैक्स, एलपीजी, यूपीआई समेत बैंकिंग के कई नियमों में भी बदलाव किए जा रहे हैं। इन नियमों का असर आपकी जेब पर पड़ने वाला है।