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इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है 'अटल टनल', खासियत सुन रह जाएंगे दंग!

यह सिंगल ट्यूब डबल लेन टनल है, जिसमें 8 माउंट्स की सड़क है, इसमें 5.525 माउंट्स का ओवरहेड क्लीयरेंस भी है।

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By Anshita Shrivastav | ट्रेवल - 04 October 2020

देश के लिए बहुत ही गर्व की बात है कि देश के प्रधानमंत्री मोदी ने जो कहा वो पूरा किया। चाहें कितनी ही मुश्किलें क्यों न आई हों उन्होंने काम को रुकने नहीं दिया। हम यहां बात कर रहे हैं अटल टनल की जिसे बनने में लगभग 10 साल का लम्बा समय लग गया। वो टनल आख़िरकार बन कर तैयार हो गई है।  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार, 3 अक्टूबर को रोहतांग में उसका उद्घाटन किया। इस सुरंग का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है और ये दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है, भारत-चीन के बीच के तनाव के पीछे का एक कारण ये सुरंग भी है। चीन कभी नहीं चाहता था कि ये सुरंग बने। बहुत से लोग जो साल में कई बार मनाली और लद्दाख के बीच यात्रा करते हैं। लेकिन जलवायु और खराब मौसम के कारण सड़क मार्ग को 6 महीने तक बंद कर दिया जाता था जिस कारण से उनको दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। लेकिन इस सुरंग के बनने से उन लोगों को फायदा होगा पहला तो वो अब पूरे साल में कभी भी यात्रा कर सकते हैं और दूसरा कि टनल बनने से रास्ते की दूरी भी कम हो गई। कैसे बनाई गई ये टनल? कितना लगा समय? चलिए बताते हैं आपको 




- करीब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी यह दुनिया की सबसे लंबी टनल है




- इसकी लंबाई 9.2 किमी, इसे बनाने में लगे 10 साल, करीब 30 हजार करोड़ रुपए की आई लागत 




- 14508 मीट्रिक स्टील, 2,37,596 मीट्रिक सीमेंट का हुआ इस्तेमाल




- 14 लाख घन मीटर चट्टानों की खुदाई हुई, हर 150 मीटर की दूरी पर 4-जी की सुविधा




- अटल सुरंग का दक्षिण पोर्टल मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर 3060 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है 




- सुरंग का उत्तर पोर्टल लाहौल घाटी में सिसु के पास के 3071 माउंट ऊंचाई पर बना हुआ है




- यह सिंगल ट्यूब वाला डबल लेन टनल है, जिसमें 8 माउंट्स की सड़क है, और इसे 5.525 माउंट्स के हेड क्लीयरेंस के साथ बनाया गया है




- यह 10.5-मीटर चौड़ा है और इसमें 3.6 x 2.25 माउंट्स फायर प्रूफ इमरजेंसी इग्रेन टनल है जिसे मुख्य टनल में ही बनाया गया है




- सुरंग मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम करती है और जिससे लगभग 4 से 5 घंटे का अंतर पड़ेगा 




- सुरक्षा के लिए सुरंग में दोनों पोर्टल्स पर हर 150 मीटर पर टेलीफोन कनेक्शन, हर 60 मीटर पर फायर हाइड्रेंट सिस्टम, निकासी लाइट हैं




-  हर 250 मीटर पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं जिससे हर गतिविधि पर नज़र रखी जा सके 




- अटल टनल सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण, LAC के साथ लगे क्षेत्रों के रास्तों को सुलभ बनाएगा




- सुरंग के निर्माण का निर्णय अटल बिहारी वाजपेयी के समय में जून 2000 में लिया गया था, आधारशिला मई 2002 में रखी गई 




- पहले इस टनल का नाम रोहतांग सुरंग सोचा गया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री की स्मृति में 24 दिसंबर 2019 को इस सुरंग को अटल सुरंग का दिया गया नाम 




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