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क्रिकेट छोड़ अब 'कड़कनाथ' का बिजनेस करेंगे महेंद्र सिंह धोनी, जानिए इस चिकन की खासियत

यह नस्ल मध्यप्रदेश, धार और झाबुआ बस्तर, राजस्थान और गुजरात के आसपास के जिलों से पाई जाती है, इनका पालन आदिवासियों और ग्रामीणों द्वारा किया जाता है।

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By Anshita Shrivastav | खेल - 13 November 2020

भारतीय क्रिकेट टीम में लम्बा समय देने के बाद और कप्तान की भूमिका में टीम में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद महेंद्र सिंह धोनी ने अंतराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया और रिटायरमेंट की घोषणा कर दी। हालांकी आईपीएल में महेंद्र सिंह धोनी ने सीएसके में कप्तानी की भूमिका निभाकर टीम का नेत्रत्व किया। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण टीम कुछ ख़ास प्रदर्शन नहीं कर सकी। 

अब खबर आ रही है कि महेंद्र सिंह धोनी ने 'कड़कनाथ' मुर्गी का व्यापार करने जा रहे हैं। उन्होंने जैविक पोल्ट्री यूनिट में  'कड़कनाथ' मुर्गियों को रखने की योजना बनाई है। बता दें कि पूर्व कप्तान ने 2,000 चूजों का ऑर्डर दिया है। ये नस्ल मूल रूप से मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में पाई जाती। किसान विनोद मेंडा ने बताया की धोनी का ऑर्डर 15 दिसंबर तक पहुंचाया जाएगा।

झाबुआ में स्थित कड़कनाथ दुर्गा अनुसंधान केंद्र के निदेशक आईएस तोमर ने बताया कि धोनी ने अपने किसी दोस्तों के माध्यम से फ़र्म में संपर्क किया था; लेकिन उनके पास पर्याप्त संख्या नहीं थी  इसलिए धोनी को थांदला किसान से संपर्क करने की सलाह दी गयी।


क्या होती है कड़कनाथ?

कड़कनाथ को काली मासी भी कहा जाता है। यह चिकन की एक भारतीय नस्ल होती है। यह नस्ल मध्यप्रदेश, धार और झाबुआ बस्तर, राजस्थान और गुजरात के आसपास के जिलों से पाई जाती है, इनका पालन  आदिवासियों और ग्रामीणों द्वारा किया जाता है। 

ऐसी मान्यता है कि ये बहुत पवित्र होती है इसलिए इसे दीवाली के बाद देवी को चढ़ाया जाता है। इसकी तीन प्रकार होती हैं: गोल्डन, जेट ब्लैक और पेंसिल। ज़्यादातर दूसरे चिकन नस्लों के 13-25% की तुलना में नस्ल के मांस में वसा की मात्रा 0.73-1.03% होती है।  रोस्टर का वजन 1.8-2 किलोग्राम और मुर्गियों का वजन  1.2-1.5 किलोग्राम होता है। कड़कनाथ मुर्गे के अंडे थोड़े गुलाबी रंग के होते हैं; इनके अंडे का वजन औसतन 30-35 ग्राम होता है।


कड़कनाथ मुर्गी पालन प्रजनन कार्यक्रम

कड़कनाथ की बढ़ती लोकप्रियता कर कारण इसकी खपत में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। जिस कारण से इसकी नस्ल में तेज़ी से गिरावट हो रही है। इसलिए इस प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने के लिए राज्य सरकार ने कड़कनाथ मुर्गी पालन प्रजनन कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम में ग़रीबी रेखा से नीचे आने वाले 500 परिवारों को जोड़ा गया है। जिससे उन परिवारों की आर्थिक मदद भी हो सके।

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