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लोकसभा सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन बिल पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने उनके असहमति नोट के कई महत्वपूर्ण अंश रिपोर्ट से हटा दिए हैं।
मंगलवार (4 फरवरी, 2025) को ओवैसी ने कहा कि जगदंबिका पाल ने उनके असहमति नोट के 8 से 10 पैराग्राफ को ब्लैक आउट कर दिया। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या आदिवासी मुसलमान नहीं हो सकता?
जेपीसी रिपोर्ट को लेकर ओवैसी की आपत्ति
ओवैसी ने कहा कि समिति के अध्यक्ष को यह नियम पता होना चाहिए कि यदि किसी सदस्य की असहमति रिपोर्ट को शामिल नहीं किया जा रहा है, तो उसे इसकी सूचना दी जानी चाहिए। जेपीसी की रिपोर्ट में दावा किया गया कि वक्फ आदिवासियों की जमीनों पर कब्जा कर रहा है, जिस पर ओवैसी ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुसार मुसलमान भी आदिवासी हो सकते हैं। लक्षद्वीप में कई मुस्लिम आदिवासी समुदाय हैं, और इस संसद में भी मुस्लिम आदिवासी सदस्य रह चुके हैं।
बिना सूचना किए हटाए गए अंश
ओवैसी का कहना है कि उन्होंने रिपोर्ट में कई तथ्यात्मक बातें शामिल की थीं, जिन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के ब्लैक आउट कर दिया गया। उन्होंने आशंका जताई कि ऐसा केवल उनके साथ ही नहीं, बल्कि कई अन्य विपक्षी सदस्यों की रिपोर्ट के साथ भी किया गया होगा। उन्होंने इसे एकतरफा कार्रवाई बताते हुए लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखने की बात कही।
130 पन्नों का असहमति नोट हुआ संपादित
ओवैसी ने 130 से अधिक पृष्ठों का असहमति नोट जेपीसी को सौंपा था, जिसे 9 चैप्टर में विभाजित किया गया था। लेकिन सदन में रखी गई रिपोर्ट में केवल 8 चैप्टर ही शामिल किए गए और 40 असहमति के बिंदुओं को हटा दिया गया। असहमति नोट के पहले अध्याय "प्रीफेस" में उन्होंने लिखा था कि रिपोर्ट में आदिवासियों की जमीनों को वक्फ में शामिल करने का दावा किया गया है और मंत्रालय को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। उनके अनुसार, भारत में कई आदिवासी मुसलमान हैं, लेकिन समिति ने इस पहलू पर ध्यान नहीं दिया। उनके इस महत्वपूर्ण बिंदु को रिपोर्ट से पूरी तरह हटा दिया गया।
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