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लोहड़ी का त्योहार रबी फसल की कटाई के प्रतीक रूप में मनाया जाता है। लोहड़ी के दिन लोग पांरपरिक पोशाक पहनते हैं और शाम के समय में आग जलाकर उसकी परिक्रमा करके पूजा करते हैं। ये त्योहार नवविवाहित जोड़ो के लिए भी बहुत खास माना जाता है। नये जोड़े इस पर्व को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। पंचांग के अनुसार इस साल लोहड़ी 13 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। ऐसे में आइए जानते हैं लोहड़ी के पर्व का अर्थ और महत्व क्या है?
लोहड़ी का त्योहार इस वर्ष 13 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस बार लोहड़ी संक्रांति का क्षण 14 जनवरी की सुबह 9 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सूर्य देव मकर राशि में गोचर कर जाएंगे। वैदिक पंचांग के हिसाब से लोहड़ी के दिन भद्रावास और रवियोग बन रहा है। वहीं भद्रावास योग शाम 04 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। ऐसी मान्यता है कि इस योग में अग्निदेव की पूजा विधिवत रूप से कर लेनी चाहिए। इतना ही नहीं, इस दिन अद्रा और पुनर्वसु नक्षत्र भी बन रहा है।
क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार
लोहड़ी का पर्व भगवान सूर्य और अग्नि देव को समर्पित होता है। इस दिन किसान अपनी मेहनत और फसल की सफलता के लिए भगवान सूर्य और अग्नि देव को धन्यवाद प्रकट करते हैं। माना जाता है कि अग्नि में नई फसल, तिल, गुड़, मूंगफली और रेवड़ी अर्पित करने से वह प्रसाद देवताओं तक पहुंचता है। यह पर्व नई फसल के आगमन के स्वागत का प्रतीक है। इस दिन किसानों की मेहनत का जश्न मनाया जाता है।
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