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केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने एनडीए के कुछ नेताओं द्वारा दिए गए बयानों और फैसलों पर सवाल खड़े किए हैं। जहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कुछ नेता सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाने और नवरात्रि के दौरान मांस की दुकानों को बंद करने की मांग कर रहे हैं, वहीं चिराग पासवान ने इसे बेकार की बहस करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मुद्दों पर चर्चा करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि भारत हमेशा से धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु समाज का उदाहरण रहा है।
‘धर्म को लेकर फालतू बहस की जरूरत नहीं’
चिराग पासवान ने साफ शब्दों में कहा कि "कौन कहां नमाज पढ़ेगा या नवरात्रि में मांस की दुकानें खुली रहेंगी या बंद रहेंगी, इस पर चर्चा की कोई जरूरत नहीं है। दशकों से भारत में हर धर्म के लोग मिल-जुलकर रहते आए हैं। हर किसी को अपनी आस्था के अनुसार जीवन जीने का अधिकार है। लेकिन कुछ लोग राजनीतिक फायदे के लिए इन मुद्दों को हवा देते हैं और समाज में बंटवारा पैदा करने की कोशिश करते हैं, जो बिल्कुल गलत है।"
‘राजनेता धर्म के मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करें’
LJP(R) प्रमुख ने आगे कहा कि असली मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए, न कि धर्म के नाम पर राजनीति। "किसी भी राजनीतिक दल को किसी धर्म विशेष के मामलों में टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। धर्म और आस्था हर व्यक्ति का निजी विषय है और इसमें किसी भी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। जिस दिन धार्मिक संगठनों और राजनीतिक दलों के बीच यह हस्तक्षेप खत्म हो जाएगा, उस दिन 90% समस्याएं खुद ही हल हो जाएंगी।"
‘धर्म को राजनीति से अलग करना होगा’
चिराग पासवान ने कहा कि धर्म का इस्तेमाल सियासी फायदे के लिए नहीं किया जाना चाहिए। "हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत हमारी विविधता और सहिष्णुता है। लेकिन जब राजनेता अपनी राजनीतिक सोच के साथ इन विवादों को जन्म देते हैं, तो समाज में गलत संदेश जाता है। देश में कई गंभीर मुद्दे हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। हमें विकास, शिक्षा, बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था जैसे विषयों पर चर्चा करनी चाहिए, न कि इस तरह की बेकार की बहसों में उलझना चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा कि देश के नेता यदि धर्म को राजनीति से अलग रखें और जनता के असली मुद्दों पर ध्यान दें, तो समाज में सद्भाव बना रहेगा और भारत और अधिक मजबूत राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ेगा।
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