दिवंगत प्रोफेसर प्रतुल चंद्र गुप्ता के नेतृत्व में इतिहासकारों की एक टीम द्वारा संकलित पांडुलिपि को बोस पर शोधकर्ताओं द्वारा जनता के लिए जारी करने का प्रयास केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया गया था.
आज महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है. पूरे देश में लोग नेता जी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ-साथ उनकी वीरगाथा को याद किया जा रहा है. आज के दिन को पराक्रम दिवस के रुप में मनाया जा रहा है. लेकिन इन सब के बीच नेता जी की जिंदगी के आसपास के रहस्यों में से एक और रहस्य 1949-50 में रक्षा मंत्रालय के लिए 'आईएनए के इतिहास' पर लिखी गई एक पुस्तक के रूप में सामने आया है. जो कि अब तक प्रकाशित नहीं हो सकी है.
दिवंगत प्रोफेसर प्रतुल चंद्र गुप्ता के नेतृत्व में इतिहासकारों की एक टीम द्वारा संकलित पांडुलिपि को बोस पर शोधकर्ताओं द्वारा जनता के लिए जारी करने का प्रयास केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया गया था कि वह इसे 2011 के जुलाई के अंत तक प्रकाशित कर देगी. लेकिन यह संभव नहीं हो सका.
सुभाष चंद्र बोस विमान दुर्घटना में जीवित बच गए थे?
लेकिन अब इसकी प्रति सामने आई है जिसे टीएमसी सांसद सुखेंदु शेखर रे ने समाचार एजेंसी पीटीआई से साझा किया है. हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती है. इसमें कहा गया है कि पांडुलिपि के प्रकाशन से इस क्षेत्र में किसी भी देश के साथ भारत के संबंधों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन नेताजी बोस की मृत्यु से संबंधित पृष्ठ (186-191) अधिक विवादास्पद होने की संभावना है.
लेकिन इस प्रति में भी यही लिखा है कि सुभाष चंद्र बोस विमान दुर्घटना से जीवित बच गए हों. हालांकि पूरी किताब के प्रकाशन के बाद ही रहस्य का खुलासा हो सकेगा. टीएमसी सांसद ने कहा कि उनके साथी, आबिद हसन सहित चश्मदीद गवाहों ने गवाही दी है कि बोस की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को ताइपे में एक हवाई दुर्घटना में हुई थी, हालांकि कुछ लोगों को इस पर संदेह है, जिसमें जांच के तीन आधिकारिक आयोगों में से एक शामिल है.
PM मोदी ने पराक्रम दिवस पर सुभाष चंद्र बोस को दी श्रंद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एक अन्य ट्वीट में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और देश की आजादी में उनके योगदान को याद किया. प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'आज पराक्रम दिवस पर मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और देश के इतिहास में उनके अतुल्नीय योगदान को याद कर रहा हूं. वह अंग्रेजी शासन का उग्र प्रतिरोध करने के लिए जाने जाएंगे. उनके विचारों से मैं बेहद प्रभावित हूं, हम भारत के लिए उनके विजन को हकीकत बनाने के लिए काम कर रहे हैं.'