कोरोना वायरस का खतरा अब काफी ज्यादा बढ़ गया है जानिए पहले के मुकाबले अब क्या अधिक जरूरी हो गया है मास्क का इस्तेमाल। जानिए क्या है एक्सपर्ट्स की राय।
पूरी दुनिया में लगातार कोरोना वायरस का कहर जारी है। कई सारे तरीके, लॉकडाउन और अनलॉक की प्रक्रिया अपनाने के बाद भी इस महामारी पर रोक अब तक नहीं लग पाया है। जो लोग बीमार है उन्हें आइसोलेट करके, क्वारंटीन रखकर और ट्रीटमेंट के जरिए ठीक किया जा रहा है। लेकिन इस कोविड-19 के कहर को कम नहीं किया जा रहा है। अब कोरोना से बचने के लिए सिर्फ दो चीजें ही जरूरी है हाथधोन और मास्क पहनना।
पिछले महीने देश भर में मेडिकल छात्र के वालंटियर के एक नेटवर्क ने अपने घरों से बाहर निकलकर देखा कि लोकल मार्किट में खरीदारी के दौरान कुछ लोगों ने कैसे मास्क लगाया हुआ। उन्होंने नौ अलग-अलग मौकों पर 19 शहरों के 30 लोकल बाजारों का दौरा करके ग्राहकों और शॉपकीपर को देखा कि उन्होंने सही से मास्क लगाया हुआ है या नहीं। लगभग 4,500 लोगों को ऑब्जर्व किया गया। जिनमें से चार लोगों में से लगभग एक ने मास्क नहीं पहना था। वहीं, जो बाकी लोग थे उनमें से लगभग एक-तिहाई से एक-आधे लोगों ने मास्क ठीक से नहीं पहना था। यहां तक की 4,548 लोगों में से लगभग 2,528 (आधे से अधिक) प्रभावी रूप से मास्क नहीं से कवर नहीं थे।
महामारी में कुछ महीनों में यह साफ हो गया कि हम एक ऐसे से वायरस से नहीं निपट रहे हैं जो खसरा या इबोला की तरह आसानी से फैलता है। कोविड -19 ज्यादातर एक संक्रमित व्यक्ति द्वारा फैलता है। हम यह भी जानते हैं कि इसमें खुराक एक अहम भूमिका निभाता है। एक संक्रमित व्यक्ति कितने वायरल पार्टिकल को हवा में छिड़कता है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उन पार्टिकल में से कितने में हम साँस लेते हैं। बेशक, उम्र और बुनियादी स्वास्थ्य वायरस से लड़ने की क्षमता को बहुत प्रभावित करेंगे। ज्यादातर भारतीय 20 के दशक में हैं और जबकि लाखों लोगों के इनफेक्डेट होने के बावजूद संक्रमण से उनकी मृत्यु नहीं हुई है, वे इसे दूसरों को पास करके जारी रखना चाहते हैं जो हो सकता है अधिक चिंता वाला विषय हो। दूषित सतहों के संपर्क के माध्यम से इंफेकडेट होना ज्यादा चिंता का विषय नहीं लगता है। इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन की हाल ही में छपी रिपोर्ट के मुताबिक फेममास्क काफी हद तक इस समय वैक्सीन जैसा काम करने में सक्षम हो रहा है।
कैसे करें मास्क का इस्तेमाल?
मास्क कैसे पहना जाए इसको लेकर कई वीडियो सोशल मीडिया पर वारयल होते हुए नजर आए हैं। मास्क पहने समय पहला लक्ष्य वायरस में सांस लेने से बचना होता है जोकि डायरेक्ट सांस लेने के चलते हमारे शरीर में जाती है। इसके अलावा ये बार-बार इफेक्ट हाथों को फेस पर लगाने से भी रोकता है। वहीं, जो लोग इंफेक्टेड होते हैं उन्हें ये इंफेक्शन से फैलने से रोका जब वो सांस लेते हैं।
वहीं, कुछ कवर करना नो कवरिंग से बेहतर है, एक सर्जिकल मास्क जो साइड में बिना किसी गैप के ठीक से फिट बैठता है वो काफी बेहतर है और एक N95 रेस्पिरेटर शायद सबसे अच्छा मास्क है, लेकिन ज्यादातर मामलों में हर समय उसे पहनने संभव नहीं है। N95 सभी अप-क्लोज नर्स-पेशेंट या डॉक्टर-पेशेंट एक्सपोज़र के लिए जरूरी है। वहीं, आंख या चेहरे की सुरक्षा गॉगल्स या शील्ड के साथ जरूरी है। ठोड़ी पर बार-बार मास्क लगाना एक बुरा विचार है, क्योंकि ऐसा न हो की सांस लेते वक्त पूरी तरह से हवा उसमें पास हो रही हो।
हम मास्क क्यों नहीं पहन रहे हैं/
लोग ये देखकर बुरी तरह से थक गए हैं कि अब तक कुछ भी नहीं हो पाया है। कई वैज्ञानिकों ने इसके प्रति चेतावनी दी है और साथ ही इस महामारी के लिए जरूरी खोज की जरूरत बताई है। महामारी के वक्त जब हमारे पास पर्याप्त सुविधाएं और अस्पताल मौजूद थे तब डॉक्टर्स नहीं थे। इससे बचने और बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं है बल्कि हम सभी की है। कितने मध्यम वर्ग के भारतीय परिवारों ने घरेलू सहायकों की वापसी का बेसब्री से इंतजार किया है, उन्होंने अपने कर्मचारियों के परिवारों के लिए मास्क या सैनिटाइज़र या यहां तक कि साबुन उपलब्ध कराने के लिए जिम्मा उठाया? ये हमारे वकर्स के लिए उन न खर्च करने वाले खर्चों में से एक हैं जो वो कमाई कमाते हैं। लेकिन कोविड -19 हमारी मलिन बस्तियों या भीतरी इलाकों में से निकल कर सामने नहीं आई है। बल्कि ये एक भारत में एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में फैला।
आगे क्या?
स्वास्थय मंत्रलाय की ओर से जो गाइडलाइन जारी की गई है उसके मुताबिक आम लोग को कम से कम तीन लेयर का मास्क लगाना चाहिए। फैब्रिक मास्क बेहतर होता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक ऐसी जगहों पर मास्क जरूर पहनें जहां व्यापाक संक्रमण हो और लोगों से दूरी बनाना मुश्किल हो जैसे कि दुकाने या फिर भीड़ वाले इलाके ।