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पितृपक्ष के नियम तो हर कोई करता है, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई थी। पितृपक्ष के समय में पितरों से जुड़े कामकाज किए जाते हैं। इसमें श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि किया जाता है। पितृ पक्ष का यह कामकाज 15 दिनों तक चलता है। यह हर साल पितृपक्ष भाद्रपद शुक्ल की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन अमावस्या तक रहता है।
पितरों की आत्मा की शांति के लिए होती है पूजा
पितृ पक्ष के दिनों में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद लेने के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करते हैं। पितृ पक्ष को लेकर यह भी मानता है कि यह सदियों से चली आ रही है। कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति के जीवन में कई सारी परेशानियां आती है जो पितृ दोष के कारण भी होती है। पितृ पक्ष के दौरान व्यक्ति पितरों का मनावन करते हैं और दोष से मुक्ति पाते हैं।
कब हुई थी पितृ पक्ष की शुरुआत
महाभारत में पितृपक्ष का वर्णन किया गया है। इस दौरान यह बताया गया है कि पितृपक्ष की शुरुआत दानवीर कर्ण की एक गलती की वजह से हुई थी। आज तक पितृपक्ष के दिन को पितरों को खुश करने के लिए कई कामकाज किए जाते हैं। महाभारत में कौरव और पांडव के बीच में 17 दिन युद्ध चला था। इस दौरान अर्जुन के हाथों कर्ण का वध हो गया था। इसके बाद उनकी आत्मा यमलोक पहुंच गई थी। इसके बाद कर्ण ने अपने जीवन में दान-पुण्य किया इसलिए उसकी आत्मा को स्वर्ग में स्थान मिला।
पितृपक्ष में इसलिए किया जाता है अन्न दान
स्वर्ग लोक जाने के बाद कर्ण की आत्मा को कीमती रत्न और आभूषण ही परोसे जाते थे। इसके अलावा उन्हें अन्न नहीं दिया जाता था। इसके बाद कर्ण देवराज इंद्र के पास पहुंचे और पूछा मैंने इतना दान-पुण्य किया फिर भी मुझे अन्न क्यों नहीं मिलता है ? इस बात का जवाब देते हुए इंद्र ने कहा, तुमने बहुत सारे धन, स्वर्ण, आभूषण और रत्न का दान किया, लेकिन कभी अन्न का दान नहीं किया। कभी भी तुमने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं किया इसलिए तुम्हें स्वर्ग की प्राप्ति होने के बावजूद भी भोजन में अन्न नहीं परोसा जा रहा है।
कर्ण ने इंद्र से कहा, मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता था अब मैं अपने पूर्वजों के लिए क्या कर सकता हूं ? इसके बाद इंद्र के कहने पर कर्ण की आत्मा को 15 दिनों के लिए धरती पर भेजा गया। इस दौरान कर्ण धरती पर आकर पूर्वजों को 15 दिनों तक अन्न और भोजन दान किया करते थे। मान्यता के अनुसार इन 15 दोनों को पितृपक्ष के रूप में देखा जाता है।
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