उत्तराखंड चारों धामों का क्या है महत्व, जानिए क्यों लाखों श्रद्धालु हर साल करते हैं दर्शन

ऐसे समय में हम आप सभी लोगों को चारों धामों की यात्रा का महत्व समझाते है। उपयोगी बात यह है कि भारत के चार धाम और उत्तराखंड राज्य के चार धाम अलग-अलग है।

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देवभूमि के नाम से मशूहर उत्तराखंड कई धार्मिक परंपराओं और खूबसूरत पहाड़ों के लिए जाना जाता है। इसी वजह से लाखों श्रद्धालु हर साल यहां पर चारधाम की यात्रा करने आते है। लेकिन इस साल कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से इस बार श्रद्धालुओं की संख्या कम हुई है जिसकी वजह सेो राज्य को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। 

वैसे हिन्दू रीति रिवाजों इन चारों धामों की यात्रा का काफी महत्व है और माना जाता है कि जिन लोगों ने इन चारधामों की यात्रा कर ली। उनके सारे पाप धुल जाते हैं और आत्मा शुद्ध हो जाती है। तो चलिए ऐसे समय में हम आप सभी लोगों को चारों धामों की यात्रा का महत्व समझाते है और बताते है कि इस यात्रा की शुरूआत कब से हुई । 

लाखो श्रद्धालु हर साल करते हैं दर्शन

उत्तराखंड राज्य में हर साल कई लोग चारों धामों  की पवित्र यात्रा करते है और अपनी श्रद्धा के मुताबिक चढ़ावा चढ़ाते हैं। जिससे राज्य को काफी फायदा मिलता है। वैसे अगर हम आंकड़ों की बात करें। तो साल 2012 में लगभग पौने 10 लाख श्रद्धालु यहां पहुंचे थे, जबकि साल 2013 में केदारनाथ दुर्घटना से पहले करीब 5 लाख श्रद्धालुओं ने चारधाम दर्शन करके पुण्य कमाया था।  2019 में भी करीब सवा 6 लाख श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए पहुंचे।

कौन से हैं चार धाम?

उत्तराखंड की पवित्र भूमि पर चार धाम स्थित है। गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ केदारनाथ  है जो कई लोगों में काफी प्रसिद्ध है।  हिन्दू धार्मिक इतिहास से देखा जाए तो चार धाम  एक ही दिशा में ना होकर, चार दिशाओं में हैं।

किसने की स्थापना

यह बात स्पष्ट नहीं है कि आखिर उत्तराखंड के चारों धामों की स्थापना किसने की है। ऐसी मान्यता है कि 8वीं-9वीं सदी में इसको बनवाया था। इसी कारण से इसका काफी फायदा है। कुछ लोगों का कहना है कि 8वीं सदी तक यहां बौद्ध मंदिर हुआ करते थे, जिसे बाद में इन्हे हिंदू मंदिर में बदल दिया गया।

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