पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तमाम आलोचनाओं के बाद आखिरकार गुरुवार को पार्थ चटर्जी को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
पश्चिम बंगाल के चर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार पार्थ चटर्जी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तमाम आलोचनाओं के बाद आखिरकार गुरुवार को पार्थ चटर्जी को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया. दरअसल, पार्थ चटर्जी के करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर से लगातार पैसे मिलने के बाद यह कदम उठाया गया. ईडी अब तक अर्पिता मुखर्जी के परिसर से 50 करोड़ रुपये से अधिक नकद बरामद कर चुकी है. सूत्रों के मुताबिक अर्पिता मुखर्जी ने ईडी की पूछताछ में माना है कि यह सारा पैसा पार्थ चटर्जी का है. खास बात यह है कि ईडी को भले ही करोड़ों रुपये मिले हों, लेकिन पार्थ ने 2011 के चुनाव से पहले चुनाव आयोग को जो हलफनामा दिया था, उसके मुताबिक उनके पास सिर्फ 6300 रुपये थे.
दरअसल, घोटाले में नाम आने के बाद पार्थ चटर्जी के चुनाव आयोग में पेश किए गए हलफनामे सामने आ गए हैं. उनके मुताबिक 2021 के विधानसभा चुनाव में पार्थ चटर्जी ने चुनाव आयोग को बताया था कि उनके पास सिर्फ 148676 रुपये नकद हैं. जबकि 2011 में उन्होंने अपने पास यह रकम सिर्फ 6300 रुपये बताई थी. हालांकि, 2011 में पार्थ चटर्जी ने अपने साथ कुल 1164555 रुपये की कमाई दिखाई थी. जबकि 2021 में उन्होंने आईटी रिटर्न में कुल 539720 रुपये की आय दिखाई.
क्या 'सादगी' से बचेंगी ममता बनर्जी?
पार्थ चटर्जी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाले तृणमूल कांग्रेस के पार्टी फोरम के बाद उन्हें कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया गया है। दोपहर में ममता बनर्जी कैबिनेट की बैठक हुई और इस बैठक के बाद पार्थ चटर्जी को सभी विभागों से हटा दिया गया. उन्हें पार्टी से सस्पेंड भी कर दिया गया है इस मामले में पार्थ पर कार्रवाई में देरी पर भी सवाल उठ रहे हैं. एक सवाल यह भी है कि क्या सिर्फ सादगी की छवि ही ममता सरकार को कटघरे में खड़े होने से रोक पाएगी?