शिव की नगरी काशी में गंगा ने भयानक रूप धारण कर लिया है. जहां छतों पर जलते शवों को ले जाने के लिए नावों का सहारा लेना पड़ रहा है.
शिव की नगरी काशी में गंगा ने भयानक रूप धारण कर लिया है. गंगा अब खतरे के निशान से ऊपर है. ऐसे में गंगा का पानी गलियों से होते हुए सड़कों पर पहुंच गया है. सबसे ज्यादा दिक्कत वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर हो रही है, जहां छतों पर जलते शवों को ले जाने के लिए नावों का सहारा लेना पड़ रहा है. ऐसे में शव लेकर पहुंचे लोगों को काफी देर तक इंतजार करना पड़ता है.
वाराणसी का मणिकर्णिका घाट पूरी तरह से जलमग्न हो गया है. आलम ये है कि गंगा का पानी गलियों में घुस गया है. गलियों में दौड़ती नाव किसी घाट पर नहीं बल्कि मणिकर्णिका घाट की ओर जाने वाली गली पर है. जिस पर शवों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा है. बढ़ते जलस्तर के कारण घाट पर स्थित छत पर अंतिम संस्कार किया जा रहा है, लेकिन शवों को अंतिम संस्कार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.
शव तक पहुंचने में हो रही परेशानी
शवों के साथ श्मशान तक पहुंचने के लिए लकड़ी भी ले जानी पड़ती है। समस्या यह है कि यात्रियों को नाव का भाड़ा भी देना पड़ता है. सबसे ज्यादा परेशानी बाहर से आने वाले लोगों को हो रही है, जिनके नंबर लंबे इंतजार के बाद आ रहे हैं. बता दें कि वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर वाराणसी समेत आसपास के तमाम जिलों से शव अंतिम संस्कार के लिए यहां आते हैं. ऐसे में यहां रोजाना करीब 70 से 80 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. बाढ़ के कारण मणिकर्णिका घाट पर आने वाले सभी शवों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन सवाल यह है कि इतनी मशक्कत के बाद भी यहां प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम नहीं किया गया है. यही शिकायत यहां आने वाले यात्रियों की भी है.