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2013 में एक ऐसी आपदा केदारनाथ पर बरसती हुई नजर आई जिसने सभी लोगों को हिलाकर रख दिया है. उस हादसे को 8 साल पूरे हो चुके हैं. इस दौरान हम एक ऐसे शख्स की कहानी आपको बताने जा रहे हैं जोकि जन्मजात अंधा रहने के बावजूद दूसरे की जान बचाता हुआ नजर आया. 2013 की 16-17 जून की काली रात उत्तरखंड के इतिहास की भयानक रात साबित हुई है.
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देवभूमि में इस दौरान हजारों लोगों की भेंट चढ़ गई. कई लोग अभी तक इस भयानक मंजर को नहीं भूला पाए हैं. लेकिन इस आपदा के वक्त ऐक ऐसा शख्स भी सामने आया जो जन्मजात दिव्यांग था. उनका नाम धर्मा राणा है और उस दिन केदारनाथ में ही वो मौजूद थे. आखों से अंधे होने के बावजूद उन्होंने जो महसूस किया वह उन्हें आज भी डराने का काम करता है.
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धर्मा ने आपदा के वक्त सिर्फ खुद को ही नहीं बचाया है. बल्कि अपने साथ एक और व्यक्ति को जीवनदान तक दिलवाया. धर्मा बताते हैं आप खुद इस बात का अहसास कर सकते हैं कि बिना आखों के इंसान ने कैसे महाअपदा में खुद और अपने साथी को बचाया होगा. उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि जिस इंसान को ईश्वर का साथ मिल जाए उसे कोई भी नहीं मार सकता. आपदा के बाद धर्मा की बाबा की ओर आस्था और ज्यादा बढ़ गई है. यहां तक की महामारी के वक्त भी उनकी आस्था बाबा पर बनी हुई है. कोरोना से निजात तक पाने के लिए बाबा के भजन तक वो गाते हैं.
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