Varishth Nagrik Bharan Poshan Adhiniyam: उत्तर प्रदेश सरकार बुर्जुग माता-पिता को राहत देने लिए जल्द एक नया नियम लाने वाली हैं. जिसके बाद कलयुग की ऐसी संतानें जो अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यहार करते हैं और उन्हें घर से निकाल देते हैं अब उनका उनकी संपत्ति पर कोई हक़ नहीं रहेगा। इस काम में उत्तर प्रदेश सरकार की अहम भूमिका रहेगी।
Welfare of Parents and senior citizen act: उत्तर प्रदेश सरकार बुर्जुग माता-पिता को राहत देने लिए जल्द एक नया नियम लाने वाली हैं. जिसके बाद कलयुग की ऐसी संतानें जो अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यहार करते हैं और उन्हें घर से निकाल देते हैं अब उनका उनकी संपत्ति पर कोई हक़ नहीं रहेगा। इस काम में उत्तर प्रदेश सरकार की अहम भूमिका रहेगी।
योगी राज में उत्तर प्रदेश की पूरी तस्वीर बदल गई हैं इसमें कोई दो राय नहीं हैं। कभी गुंडाराज का केंद्र कहे जानें वाला यूपी (UP) अब अपने स्वर्णिम काल में साँस ले रहा हैं। योगी के शासन में बने नियम और कानूनों की देश- विदेश तक प्रशंसा की जाती हैं अब एक बार फिर उत्तर प्रदेश में वह होने जा रहा हैं जिसके बारें में किसी सरकार ने विचार भी नहीं किया होगा। दरअसल, योगी सरकार वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और कल्याण नियमावली 2014 से जुड़े नियमों में संशोधन करने जा रही हैं। जिसके बाद माता-पिता को परेशान करने वाली संतानों को उनकी संपत्ति (PROPERTY) से बेदखल कर दिया जाएगा। इस कदम की पहल के लिए प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया हैं।
सिर्फ 30 दिनों के अंदर संपत्ति से होंगे बेदखल
इस ओर शुरुआत करते हुए समाज कल्याण विभाग के द्वारा वकीलों से सलाह ली जाएगी। जिसके बाद तैयार की गई नई नियमावली को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने पेश कर दिया जाएगा। इस प्रस्ताव के पास होने के बाद बुर्जुग माँ-बाप को परेशान करने वाली संतानों और रिश्तेदारों का उनके द्वारा बनाई गई संपत्ति और सामान पर कोई हक नहीं रहेगा। ऐसा करने की प्रक्रिया भी बेहद आसान रहेगी। बताया जा रहा हैं, कि सिर्फ 30 दिनों के अंतर्गत ऐसी संतान को सम्पत्ति के अधिकार से बेदखल (EVICTED) कर दिया जाएगा। इस प्रक्रिया में बुर्जुग दंपत्ति का पुलिस भी पूरा सहयोग करेगी।
उत्तर प्रदेश में माता- पिता और वरिष्ठ नागरिकों के लिए भरण पोषण और कल्याण नियमावली 2014 बनाई गई हैं जोकि क्रेंद्र सरकार द्वारा बनाई गई वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 पर आधारित हैं इस नियमावली को 2014 में पूर्ण रूप से जारी किया गया था।
इस नियमावली को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठन किया गया था। उस समय राज्य में सप्तम विधि आयोग ने पुरानी नियमावली के अनुसार बनाए गए नियमों को लक्षित उद्देश्यों को पूरा करने के लिहाज़ से सक्षम नहीं बताया था। जिसके बाद नियमावली के नियम 22 (क), 22 (ख), 22 (ग) में बदलाव कर बढ़ाने की सिफ़ारिश की गई थी। इसमें वरिष्ठ नागरिकों के कानूनी अधिकार की बात की गई जिसके अनुसार उनका ध्यान न रखने पर बच्चों और रिश्तेदारों को उनकी संपत्ति से बेदखल करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा माता-पिता स्वयं भी बेदखली के लिए प्राधिकरण के समक्ष आवेदन (APPLY) कर सकते हैं।
सम्पत्ति पर हक़ दिलाने में पुलिस करेगी पूरा सहयोग-
इस प्रस्ताव के तहत ऐसे माता-पिता जिनके साथ उनके बच्चों के द्वारा बुरा व्यवहार किया जाता हैं और मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया जाता हैं वह ऐसी संतानों को अपनी संपत्ति बेदखल कर सकते हैं। जिसके लिए वह सम्बंधित प्राधिकरण को आवेदन दे सकते हैं अगर किसी कारणवश वह आवेदन नहीं दे पाते हैं तो वह किसी संस्था की मदद से भी आवेदन दाखिल करवा सकते है। इसके बाद प्राधिकरण या ट्रिब्यूनल का यह अधिकार है, कि वह बेदखल का आदेश जारी कर सकते है।
इसके बाद अगर कोई व्यक्ति आदेश जारी होने के 30 दिनों के बाद भी खुद को संपत्ति से बेदखल नहीं मानता है तो प्राधिकरण (AUTHORITY) के द्वारा बुजुर्गों को उनकी संपत्ति पर कानूनी रूप से कब्ज़ा दिलाने में मदद की जाएगी।