शहीद-ए-आजम भगत सिंह का आज जान दिवस है. भगत सिंह देश के सबसे बड़े क्रांतिकारियों में गिने जाते हैं
शहीद-ए-आजम भगत सिंह का आज जान दिवस है. भगत सिंह देश के सबसे बड़े क्रांतिकारियों में गिने जाते हैं. उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के लिए न्योछावार कर दिया था. उनकी जिंदगी आज भी युवाओं को प्रेरणा देती है.
बता दें भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में आता है. भगत सिंह की मृत्यु 23 वर्ष की आयु में हुई जब उन्हें ब्रिटिश सरकार ने फांसी पर चढ़ा दिया था. भगत सिंह के साथ उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव को भी फांसी दे दी गई थी. बता दें, फांसी देने का दिन 24 मार्च को निश्चित किया गया था, लेकिन फांसी एक दिन पहले (23 मार्च 1931) ही दी गई थी.
भगत सिंह को तय समय से फांसी दी जानी थी, पर फांसी की पूरी प्रक्रिया को गुप्त रखा गया था. उस दौरान कम ही लोग शामिल थे. इनमें यूरोप के डिप्टी कमिश्नर भी थे. जितेंदर सान्याल की लिखी किताब 'भगत सिंह' के अनुसार, फांसी के तख्ते पर चढ़ने के बाद, गले में फंदा डालने से पहले भगत सिंह ने डिप्टी कमिश्नर की ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा, "मिस्टर मजिस्ट्रेट, आप बेहद भाग्यशाली हैं कि आपको यह देखने को मिल रहा है कि भारत के क्रांतिकारी किस तरह अपने आदर्शों के लिए फांसी पर भी झूल जाते हैं.
भगत सिंह जब जेल में थे, उस समय काफी किताबें पढ़ा करते थे. किताबों को लेकर उनकी दीवानगी हैरान करने वाली थी. वह अपनी जिंदगी के आखिरी समय तक नई-नई किताबें पढ़ते रहे. जब भी किताबें पढ़ते तो साथ में कुछ-कुछ लिखकर नोट्स भी बनाया करते थे.