हाइपरथाइराडिज्म से पीड़ित व्यक्ति को टीईडी होने की ज्यादा संभावना होती है। इस स्थिति में आंखों की जो मसल्स और पिछली साइड में मौजूद फैटी टिश्यूज जो होता है उसमें सूजन आ जाती है।
आजकल ज्यादातर लोगों में थायरॉइड की परेशानी सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। ये एक आम बीमारी बन चुकी है। इसके चलते आपके शरीर पर काफी असर पड़ता है। आपके शरीर के अंदर मोटापे, वजन कम होने, डिप्रेशन, बाल गिरने जैसी बीमारियां पैदा होने लगती है। क्या आपको पता है कि इसका असर आखों पर भी पड़ता है। इसे हम थाइरॉइड आई डिजीज कहते हैं। हाइपरथाइराडिज्म की परेशानी में मरीज की आंखों में दुर्लभ ऑटो इम्यूम बीमारी हो जाती है, जिससे आपको को काफी नुकसान हो जाता है। आइए आपको बताते हैं क्या है इसके लक्षण।
इस मामले में कहना है कि हाइपरथाइराडिज्म से पीड़ित व्यक्ति को टीईडी होने की ज्यादा संभावना होती है। इस स्थिति में आंखों की जो मसल्स और पिछली साइड में मौजूद फैटी टिश्यूज जो होता है उसमें सूजन आ जाती है। क्या आपको पता है कि हाइपरथाइराडिज्म के मरीजों के साथ-साथ बाकी कई लोगों में ये बीमारी पाई जाती है, लेकिन ऐसे मरीजों की संख्या बहुत ही कम होती है।
क्या है हाइपरथायरॉइडिज्म?
डॉ. श्वेता बुडयाल कहती हैं कि जब भी हाइपरथायरॉइडिज्म की शुरुआत होती है, तभी थायरॉइड आई डिजीज के भी लक्षण नजर आने लगते हैं। रेयर केसेस में ही थायरॉएड की समस्या होने के 5-10 साल बाद थायरॉइड आई डिजीज होता है। आमतौर पर जो लोग बहुत ज्यादा स्मोक करते हैं, उनमें इस बीमारी के होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। ऐसे लोगों को गंभीर रूप से थायरॉइड आई डिजीज होती है। ऐसे में इनमें दवाओं के प्रति रिस्पॉन्स भी सही नहीं नजर आता है, जबकि जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं, उनमें दवाओं का असर होता है। ऐसे में हम स्मोकिंग बंद करने की सलाह देते हैं।