संसद में शेर और शायरी के जरिए सांसद अमोल कोल्हे वार और पलट वार करते नजर आए कुछ मजाकिया कविता पढ़ते तो कभी सीरियस होकर देश की स्थिति को कविता के माध्यम से सामने लाते दिखे।
संसद में शेर और शायरी के
जरिए सांसद अमोल कोल्हे वार और पलट वार करते नजर आए कुछ मजाकिया कविता पढ़ते तो
कभी सीरियस होकर देश की स्थिति को कविता के माध्यम से सामने लाते दिखे। इतना ही
नहीं सोशल मीडिया पर भी एनसीपी सांसद का यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह संसद भवन में कविता पढ़ रहे हैं इस कविता में उनकी
जमकर तारीफ भी हो रही है। इतना ही नहीं आपको बता दे कि संसद भवन में एमसी सांसद डॉ अमोल
कोहले ने अपनी कविता के जरिए अपने विचार भी व्यक्त किए हैं जिसमें कि उन्होंने राम
मंदिर और सरकार के वादे को जोड़ते हुए कविता पढ़ी है। इस कविता में राम मंदिर, महंगाई, रोजगार, निजीकरण
आदि को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं इसके अलावा कविता के कुछ पंक्तियां नीचे लिखी गई
है।
एनसीपी नेता ने संसद के बजट सत्र के दौरान ही राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान यह कविता पढ़ी थी। आपको बता दे कि एनसीपी नेता कोल्हे ने लोकसभा में अपने संबोधन के दौरान यह कहा है कि मैं पूरे देश को मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री रामलला के आगमन के लिए बधाई देता हूं। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी कविता में केंद्र सरकार पर तंज कसा है।
अयोध्या में भक्तों की
भारी भीड़ :
सूत्रों के अनुसार 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में भगवान रामलला
की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। मुख्य अनुष्ठान में प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी, आरएसएस
प्रमुख मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे गणमान्य
लोग शामिल हुए। प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित किया। राम
मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई
साथ ही ये मंदिर भी सुर्खियों में
बना हुआ है।
डॉ. अमोल कोल्हे ने कहा, 'लोग कुछ तो कहेंगे, लोगों का काम है कहना, लोगों की बात मत सुनो, बस अपने मन की बात कहो।
फिर भी हम खुश थे, 500 साल पुराना सपना सच हो रहा था, हमारे अंदर का हिंदू भी पूरी तरह से जाग चुका था।
राम लला के दर्शन की आस में अयोध्या की ओर चल पड़े, सामने का नजारा देखकर दंग रह गए।
कविता की पंक्तियों की झलक :
कविता के आगे की पंक्तियां
कुछ ऐसी है जिसमें कहा गया है कि तीन मंजिली 490 और 32 सीढ़ियां जय श्री राम का नारा लगाते हुए हम
सीढ़ियां चढ़ने लगे। राम लाला से क्या गुहार लगाएं ये सोचने। पहली सीढ़ी पर याद आई
महंगाई दूसरी सीढ़ी पर बेरोजगारी तीसरी सीढ़ी पर पत्रकारिता की चरण चुंबकता और
चौथी पर केंद्रीय एजेंसी की संबंधित भूमिका हर सीढ़ी पर कुछ ना कुछ याद आ रहा था।