छठ पूजा में बांस के सूप का ये है खास महत्व, सूर्य देव से है कनेक्शन

छठ पूजा के त्योहार की शुरुआत हो चुकी है। दिवाली के पांच दिन बाद इस त्योहार को काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। तीन दिन चलने वाले इस त्योहार को लेकर काफी कठिन व्रत रखा जाता है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
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छठ पूजा के त्योहार की शुरुआत हो चुकी है। दिवाली के पांच दिन बाद इस त्योहार को काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। तीन दिन चलने वाले इस त्योहार को लेकर काफी कठिन व्रत रखा जाता है। इस पूजा का काफी खास महत्व है। इसके अंदर बांस के सूप का इस्तेमाल किया जाता है। चाहे कोई अमीर हो या फिर गरीब हर कोई छठ पूजा में पितलस स्टील या फिर किसी भी धातू से बने सूप की जगह सिर्फ बांस के सूप का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि क्यों किया जाता है सूप के बांस का पूजा में इस्तेमाल।


बांस के सूप का सीधा संबंध प्राकृति से जुड़ा हुआ है। इसे प्राकृति का ही प्रतीक माना जाता है। इसी वजह से इसका इस्तेमाल छठ पूजा के लिए किया जाता है। बांस को सबसे शुद्ध माना जाता है। पूजा में इसके इस्तेमाल से सूर्यदेव काफी खुश होते हैं। इसी वजह से काफी वक्त से बांस के सूप की पूजा में इस्तेमाल करने की परंपरा चली आ रही है।


नहाय खाय का क्या है महत्व?


नहाय खाय का सीधे तौर पर मतलब स्नान करने और भोजन से हैं। नहाय खाय के दिन व्रत करने वाली महिलाएं नदी या तालाब में स्नान करती है। इसके बाद चना दाल, भात और कद्दू के साथ-साथ लौकी की सब्जी प्रसाद के तौर पर बनाई जाती है। नहाय खाय का ये भोजन साधक में सकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है। इस दिन व्रत करने वाले साधक इस सात्विक द्वारा खुद को पवित्र कर छठ पूजा के लिए तैयार होते हैं।


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