ट्वीटर को हाई कोर्ट की फटकार, आदेश मानें वरना अपनी दुकान बंद करें

आपत्तिजनक सामग्री को हटाने के अपने आदेश की अवहेलना करने पर हाई कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को कड़ी फटकार लगाई और उसे कारण बताने को कहा है.

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 आपत्तिजनक सामग्री को हटाने के अपने आदेश की अवहेलना करने पर हाई कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को कड़ी फटकार लगाई और उसे कारण बताने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायण मूर्ति की पीठ ने सोमवार को कहा कि आदेश का पालन करने में ट्विटर की निष्क्रियता अदालत की अवमानना ​​है. पीठ ने माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म से यह स्पष्ट करने को कहा कि उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए सात फरवरी की तारीख मुकर्रर की है. कोर्ट ने ट्विटर को इस संबंध में 7 फरवरी तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. इससे पहले सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अपने प्लेटफॉर्म से आपत्तिजनक सामग्री को हटाने में सहयोग नहीं कर रहा है. इस पर पीठ ने ट्विटर से जानना चाहा कि उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​की कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए. यूट्यूब के वकील ने कहा कि उन्होंने कोर्ट के आदेशों का पालन किया है लेकिन कुछ मीडिया टेलीविजन हाउस अभी भी अपने ट्यूब चैनल पर वही चला रहे हैं.

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हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए मामले को दबाया नहीं जाना चाहिए. पीठ ने कहा, 'पिछली सुनवाई के दौरान हमने स्पष्ट रूप से आदेश दिया था कि आपत्तिजनक सामग्री को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए. ऐसा न करने पर कोर्ट की अवमानना ​​होती है. अगर आप अपनी सेवाएं जारी रखना चाहते हैं तो आपको इस देश के कानून का सम्मान करना होगा, नहीं तो आप अपनी 'दुकान' इस देश में बंद कर दें. कोर्ट, सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों और समर्थकों द्वारा न्यायपालिका के खिलाफ विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कथित रूप से पोस्ट की जा रही आपत्तिजनक सामग्री का स्वत: संज्ञान ले रही है. सीबीआई मामले की जांच कर रही है और इस सिलसिले में अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

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