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छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद आदिवासियों के लिए अभिशाप बन गया है. आदिवासी पुलिस और नक्सलियों के चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं. एक तरफ पुलिस का मुखबिर होने के शक में उसकी हत्या कर दी गई. ऐसे कई मामले बस्तर के नक्सल प्रभावित जिलों में हैं.
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नक्सलियों ने मुखबिर बताकर निर्दोष ग्रामीणों की हत्या की है. वहीं जवानों ने आदिवासी ग्रामीणों को नक्सली बताकर अपनी जान ले ली है. लेकिन इन मामलों में एक मामला ऐसा भी है जब पिछले दो साल से शव अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहा है.
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न्याय पाने की आस में ग्रामीणों ने शव को सफेद कपड़े से 6 फीट के गड्ढे में लपेट कर नमक, तेल और जड़ी-बूटियों से लपेट कर रख दिया. शरीर को मौसम के प्रभाव से बचाने के भी इंतजाम किए गए हैं. इसे लकड़ी के डंडे, पॉलीथिन और मिट्टी की मदद से दबा दिया जाता है. हालांकि अब ग्रामीण का शव काफी हद तक कंकाल में बदल चुका है. लेकिन ग्रामीणों और मृतक ग्रामीणों के परिजनों का कहना है कि न्याय मिलने तक शव को सुरक्षित रखा जाएगा.
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