सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने आज राजद्रोह के मामलों को लेकर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि राजद्रोह का स्वतंत्रता संग्राम को दबा देगा
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने आज राजद्रोह के मामलों को लेकर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि राजद्रोह का स्वतंत्रता संग्राम को दबा देगा. लेकिन इसी के साथ अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि राजद्रोह कानून का दुरुपयोग रोका जा सके इसके लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए जा सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि जब कभी भी कोई भी पार्टी किसी दूसरी पार्टी की राय ना सुने, तो ये उसके खिलाफ राजद्रोह कानून का इस्तेमाल करना ही होता है. CJI के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल पर किए गए इस सवाल पर की जब उनकी सरकार ने बहुत से पुराने कानून रद्द कर दिए हैं, तो उनकी सरकार आईपीसी की इस धारा 124 ए को क्यों निरस्त नहीं कर सकती? इस पर अटॉर्नी जनरल राजद्रोह कानून को रद्द करने के विरोध में दिखे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि जब कोई पार्टी(यानी सरकार) दूसरे पक्ष की राय सुनना पसंद नहीं करती, तो वो उसके खिलाफ राजद्रोह कानून का इस्तेमाल करती है। CJI ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा कि जब आपकी सरकार ने कई पुराने कानून रद्द कर दिए हैं, तो आईपीसी की धारा 124 ए को क्यों निरस्त नहीं कर रही, यह उनको समझ नहीं आ रहा। हालांकि अटॉर्नी जनरल राजद्रोह कानून का विरोध किया.
क्या है पूरा मामला ?
आईपीसी की धारा 124 ए को चुनौती देने वाली एक याचिका जिसमे कहना यह है को इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है, ऐसी याचिका लगाई गई है. केंद्र सरकार(NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि 2014 से 19 तक 326 केस दर्ज किए गए, लेकिन इनमें सिर्फ 10 लोगों को सजा हुई.