मानसून में करें आखों की देखभाल, जलन खुजली ड्राइनेस होगी दूर

मानसून आते ही संक्रमण और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सर्दी, खांसी, बुखार और वायरल के साथ-साथ तेज ठंड का असर आंखों पर भी पड़ता है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
  • 60
  • 0

मानसून आते ही संक्रमण और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सर्दी, खांसी, बुखार और वायरल के साथ-साथ तेज ठंड का असर आंखों पर भी पड़ता है। हमारी आंखें बेहद नाजुक होती हैं और हमेशा हमें उनकी देखभाल करनी चाहिए। मानसून के मौसम में ठंडी हवा हल्का धूप होने के कारण हमारी आंखें शुष्क हो जाती हैं। इस तरह से हमारी आंखों के सामने हल्का धुंध नजर आता है, बेचैनी, आखों से पानी आना इस तरह की समस्याएं होती हैं।

इनडोर हीटिंग सिस्टम

मानसून में शुष्क हवा और इनडोर हीटिंग सिस्टम के कारण आंखें शुष्क हो सकती हैं। इसलिए आंखों में नमी बनाए रखनी चाहिए। इसके लिए आई ड्रॉप का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे जलन की समस्या से भी राहत मिलती है।

धूप का चश्मा 

मानसून ठंडी हवाएं और नमी लाती है, जो आंखों के दुश्मन हैं। इनसे आंखों को बचाना चाहिए। धूप का चश्मा आंखों को हानिकारक यूवी किरणों से बचा सकता है और नमी के प्रभाव को कम कर सकता है। आप चाहें तो यूवी प्रोटेक्शन वाला धूप का चश्मा पहन सकते हैं।

आंखों की सेहत 

आंखों को स्वस्थ रखने के लिए आहार में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होने चाहिए। भोजन में विटामिन ए, सी और ई के साथ-साथ ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए। ये पोषक तत्व आंखों को स्वस्थ रखते हैं और मैक्यूलर डिजनरेशन जैसी स्थितियां नहीं होती हैं। मानसून में लोग पानी पीना कम कर देते हैं, जिसका सीधा असर आंखों की सेहत पर पड़ता है। इसलिए डिहाइड्रेशन से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। इससे आंखों का सूखापन, जलन और खुजली जैसी समस्याएं ठीक हो सकती हैं।

मोतियाबिंद के लक्षणों में धुंधली दृष्टि

आंखों को स्वस्थ रखने के लिए उचित रोशनी भी महत्वपूर्ण है। मानसून में धूप कम होने से घर या ऑफिस में अच्छी रोशनी होने से आंखों पर दबाव नहीं पड़ता और तनाव भी नहीं बढ़ता। यदि मोतियाबिंद के लक्षणों में धुंधली दृष्टि या प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता शामिल है, तो मोतियाबिंद सर्जरी तुरंत की जानी चाहिए।

RELATED ARTICLE

LEAVE A REPLY

POST COMMENT