सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई भिखारियों पर पाबंदी लगाने की मांग कहा - गरीबी नहीं होती तो कोई भीख नहीं मांगता

भिखारियों पर रोक लगाने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि कोई भी अपनी मर्ज़ी से भीख नहीं मांगना चाहत। जीवन कि कुछ मज़बूरियो में इंसान को ऐसा करना पड़ता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी अपनी मर्ज़ी से भीख नहीं मांगता है, किसी का भीख मांगना सामाजिक समस्या को दर्शाता है. इसके साथ उस इंसान की आर्थिक स्थिति, बेरोजगारी और शिक्षा का अभाव को बताता है. कुछ लोग अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भीख मांगने पर मज़बूर है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह लोगों की तरह नहीं सोच सकती है इसलिए वह अभिजात्य नजरिया नहीं अपनाएगी कि सड़कों पर भीख मांगे वाले नहीं होने चाहिए.


सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कई लोगों के पास शिक्षा के अभाव  के साथ रोजगार  नहीं है लेकिन जीने के लिए उन्हें कुछ ज़रूरी चीज़ो के ध्यान रखना पड़ता है जिसकी वज से भीख माँगना उनकी मज़बूरी बन जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वह इस पेटिशन पर बिल्कूल भी विचार नहीं करेंगे कि सड़को से भीख मांगने वाले या बेघरों को हटाने का निर्देश जारी करे.


सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को यह दूसरी पेटिशन पर नोटिस जारी किया जा रहा है जिस में सड़को पर रहने वाले लोगो और भीख मांगने वालो को कोविड वैक्सीन दी जाए और इसके साथ उनका पुनर्वास  होना चाहिए. अदालत ने कहा कि गरीबी एक समस्या है और साथ ही यह आर्थिक और सामाजिक समस्याओं  का कारण हो रहा है.इसके साथ ही अदालत ने कहा कि आईडिया यह होना चाहिए कि इनकी गरीबी को कैसे दूर किया जाए और इनके बच्चो को कैसे शिक्षा प्रदान कि जाए जिससे ये गरीबी दूर हो जाए न कि ये लोग. 


आगे इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि, की वह इस मामले में सहयोग करे और सुनवाई को 2 हफ्तों के लिए टाल दिया.

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