केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का कारगिल शहर इन दिनों कड़ाके की ठंड से जूझ रहा है. ये इलाका भारत की सुरक्षा के लिए बेहद अहम है.
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का कारगिल शहर इन दिनों कड़ाके की ठंड से जूझ रहा है. ये इलाका भारत की सुरक्षा के लिए बेहद अहम है. यही कारण है कि भारतीय वायुसेना और थल सेना दोनों ही यहां अपनी मौजूदगी बढ़ाती रहती हैं। हाल ही में भारतीय वायुसेना ने भी यहां एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. वायुसेना ने रात में यहां कारगिल हवाई पट्टी पर C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान को उतारा है। इसका एक वीडियो भी सामने आया है.
#WATCH | "In a first, an IAF C-130 J aircraft recently carried out a night landing at the Kargil airstrip. Employing terrain masking enroute, the exercise also dovetailed a training mission of the Garuds," tweets Indian Air Force.
— ANI (@ANI) January 7, 2024
(Video: Indian Air Force) pic.twitter.com/JHVQ7p6Vxu
इलाके में मास्किंग कार्य के लिए तैनात
भारतीय वायुसेना ने ट्वीट किया, 'पहली बार वायुसेना का C-130J विमान रात में कारगिल हवाई पट्टी पर उतरा है. इस अभ्यास के दौरान गरुड़ कमांडो को इलाके में मास्किंग कार्य के लिए भी तैनात किया गया था। टेरेन मास्किंग एक सैन्य रणनीति है, जिसका उपयोग पहाड़ों, पहाड़ियों, जंगलों जैसी प्राकृतिक वस्तुओं को दुश्मन के रडार से छिपाने के लिए किया जाता है। इसका मकसद दुश्मन से छुपकर अपने ऑपरेशन को अंजाम देना है.
हवाई पट्टी पर विमान को उतारना मुश्किल
कारगिल चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। ऐसे में यहां लैंडिंग करना काफी चुनौतीपूर्ण है। सर्दियों के दौरान बर्फबारी भी लैंडिंग को और अधिक कठिन बना देती है। इसके अलावा रात में बर्फबारी के दौरान हवाई पट्टी पर विमान को उतारना बहुत मुश्किल होता है। लैंडिंग के दौरान विमानों को न सिर्फ रात के अंधेरे में पहाड़ों से बचना पड़ता है, बल्कि लैंडिंग के लिए नेविगेशन पर ही निर्भर रहना पड़ता है.
तीन क्रू सदस्यों की आवश्यकता
C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान को उड़ाने के लिए कम से कम तीन क्रू सदस्यों की आवश्यकता होती है, जिसमें दो पायलट और एक लोडमास्टर शामिल होते हैं। विमान में 19 टन सामान लादकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है. यह चार रोल्स-रॉयस AE 2100D3 टर्बोप्रॉप इंजन द्वारा संचालित है। अगर इसकी स्पीड की बात करें तो यह विमान एक घंटे में 644 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। यह बिना तैयार रनवे से छोटी उड़ान भरने और उतरने में सक्षम है।