सोनिया गांधी ने साधा केंद्र पर निशाना, बोलीं- मोदी लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को ध्वस्त करते जा रहे हैं

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कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार लोकतंत्र के तीनों स्तंभो विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को ध्वस्त कर रही है. उन्होंने यह बात द हिंदू में दिए इंटरव्यू में कही. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और लोकतांत्रिक जवाबदेही के प्रति सरकार की नफरत परेशान करने वाली है.  

बेरोज़गारी, महंगाई जैसे महत्वपूर्ण  मुद्दे  सरकार रोकना चाहती है

सोनिया ने कहा है,"संसद के बीते सत्र में हमने कार्यवाही बाधित करने की सरकार की रणनीति देखी, जिससे विपक्ष को बेरोज़गारी, महंगाई, सामाजिक विभाजन और अदानी स्कैम जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने से रोका जाए." कारोबारी गौतम अदानी का नाम लिए बगैर सोनिया ने कहा, "प्रधानमंत्री सच और न्याय के बारे में दिखावटी बयान देते हैं जबकि उनके चुने व्यवसायी पर वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों की अनदेखी की जाती है."

45 लाख करोड़ रुपये का बजट बिना बहस के पारित

सोनिया गांधी ने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि "सरकार ने ये सभी व्यवधान केंद्रीय बजट 2023 को पारित करने के लिए ध्यान भटकाने के लिए किए थे. श्रीमती गांधी ने लिखा कि लोगों के पैसे का 45 लाख करोड़ रुपये का बजट बिना किसी बहस के पारित कर दिया गया."

जांच एजेंसियों का हो रहा दुरुपयोग 

उन्होंने कहा," केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा डाले जा रहे छापों को लेकर भी उन्होंने केंद्र पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है 95 प्रतिशत से अधिक राजनीतिक मामले केवल विपक्षी दलों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं"

न्यायपालिका की विश्वसनीयता को कम करने की हो रही कोशिश

सोनिया गांधी ने इस लेख में कहा,  "क़ानून मंत्री की ओर से पूर्व जजों को लेकर दिए गए बयान का भी ज़िक्र किया है और कहा है कि न्यायपालिका की विश्वसनीयता कम करने के लिए व्यवस्थित तरीके से कोशिशें हो रही हैं. उन्होंने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ये स्पष्ट कर दिया था कि सरकार की आलोचना दंड का आधार नहीं हो सकती."

बीजेपी नेताओं की ओर से दंगे फैलाए जा रहे

सोनिया गांधी ने लिखा है कि "पीएम मोदी बीजेपी और आरएसएस के नेताओं की ओर से फ़ैलाई जा रही नफ़रत और हिंसा की अनदेखी कर रहे हैं. उन्होंने एक बार भी शांति और समृद्धि की बात नहीं की, न तो दोषियों को सज़ा ही दी. धार्मिक त्योहार अब दूसरों को उकसाने का मौका बन गए हैं."


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