सिद्धू को कप्तान ने निकाय के बदले ऊर्जा विभाग दे दिया, जिससे सिद्धू खुश नहीं थे और उन्होंने कप्तान के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया.
पिछले कई सालों से कांग्रेस पार्टी में कुछ ठीक नहीं देखने को मिल रहा है. कुछ साल पहले पूर्व कांग्रेस और वर्तमान बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच घमासान हुआ था, जिसकी वजह से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे, फिर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच क्लेश हुआ और अब खबर ऐसी है कि पंजाब मुख्यमंत्री कप्तान अमरिंदर सिंह और बाकी कांग्रेस नेताओं के बीच घमासान हो रही है. लेकिन जब से सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे है तब से उनका कप्तान के साथ लड़ाई और तेज़ होती दिखाई दी.
कल पंजाब कांग्रेस अध्य्क्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कप्तान अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद उनके ऊपर आरोप लगाया है कि पार्टी के बुरे प्रदर्शन के लिए उन्हें अनुचित तरीके से "अलग-थलग" किया जा रहा है और कुछ लोग उन्हें पार्टी से बाहर करवाना चाहते है.
सिद्धू और कप्तान के बीच की सक्रियता तब बढ़नी शुरू हो गई जब कप्तान अपने मंत्रिमंडल में मंत्रियों का विभाग इधर-उधर करने लगे. सिद्धू को कप्तान ने निकाय के बदले ऊर्जा विभाग दे दिया, जिससे सिद्धू खुश नहीं थे और उन्होंने कप्तान के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. कप्तान के ना चाहने पर भी कांग्रेस के आलाकमान ने सिद्धू को इसी वर्ष पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया. इसके बाद सिद्धू कप्तान को अलग-अलग मुद्दों पर हमेशा निशाना बनाते रहे, जिसके बाद आखिरकार कप्तान ने पंजाब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे ही दिया. इसमें कुछ ऐसे आधार है जिस पे यह कहा जा सकता है कि कप्तान कुछ जगहों पर कमजोर रहे और सिद्धू उन पर भारी पड़े.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कप्तान अपने अफसरों पर ज्यादा भरोसा जताने लगे थे, जिसकी वजह से पार्टी के विधायक नाराज रहा करते थे. कप्तान के पास कहीं न कहीं एक भी ऐसा नेता नहीं था जो उनकी राजनीतिक मामलों को संभाल सके. पार्टी के वरिष्ठ नेतागण एक साल पहले से ही कप्तान को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मंशा में थे जिसको कप्तान समय रहते समझ ही नहीं पाए.
वही दूसरी ओर अगर हम सिद्धू की बात करे तो उन्होंने कभी भी कप्तान अमरिंदर सिंह को कप्तान माना ही नहीं. उनका कहना था कि हमारा कप्तान राहुल गांधी है, कप्तान अमरिंदर सिंह पंजाब के कप्तान है, हमारे नहीं. वही 2019 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बठिंडा में उन्होंने कप्तान के तरफ इशारा करके कह दिया था कि सरकार 75:25 की हिस्सेदारी से चल रही है, इतना ही नहीं सिद्धू कप्तान के मना करने पर भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की ताजपेशी में शामिल होने चले गए.