जसवंतनगर के मंच से शिवपाल यादव ने बयान देते हुए कहा कि अब डिंपल को हमसे ज्यादा वोट से जीताने की जिम्मेदारी है. मैं अखिलेश से भी कहता हुं की मेरा आपके लिए समर्पण है.
सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव और प्रसपा के अध्यक्ष शिवपाल यादव के बीच रिश्ते सामान्य होते दिख रहे हैं. जसवंतनगर के मंच से शिवपाल यादव ने बयान देते हुए कहा कि अब डिंपल को हमसे ज्यादा वोट से जीताने की जिम्मेदारी है. मैं अखिलेश से भी कहता हुं की मेरा आपके लिए समर्पण है. आज नेता जी नहीं हैं, इसलिए ये चुनाव महत्वपूर्ण हो गया है. यहां की गली से लेकर गांव तक विकास नेता जी ने किया है. मैं नेता जी को 12 साल की उम्र से जुड़ा. मैंने उन्हें कभी निराश नहीं किया.
शिवपाल यादव ने आगे कहा कि 8 सालों में भाजपा ने कोई काम नहीं किया है. नेताजी के बाद अगर आप लोगों ने कहा है तो मैंने करके दिखाया है. नेता जी के मैनपुरी लेकर जसवंतनगर तक बहुत किस्से हैं. हम सब उनसे जुड़े हुए हैं. अखिलेश को भी निराश नहीं करूंगा, मेरे समपर्ण और मेरी क्षमता को पहचानो.
बीजेपी उम्मीदवार पर शिवपाल बोले हमला
शिवपाल ने कहा कि बीजेपी के प्रत्याशी कह रहे हैं कि मैं शिवपाल यादव का शिष्य हूं. बीजेपी का उम्मीदवार शिष्य तो दूर चेला भी नहीं है. वह अवसरवादी है. अगर चेला होते तो मिलकर बात करके जाते.
अखिलेश ने एक तीर से साधे 2 निशाने
सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी में यादव परिवार का पहला चुनाव है. मुलायम सिंह के निधन के बाद रिक्त हुई मैनपुरी लोकसभा की सीट पर अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव चुनाव मैदान हैं. मुलायम के निधन के कारण इस सीट पर सहानुभूति की लहर भी है. अब अखिलेश पिता मुलायम सिंह की विरासत बचाने के लिए पूरा यादव कूनबे को साथ लाने की कोशिश भी कर रहे हैं.
इन नामों को लेकर लगाए जा रहे थे कयास
बता दें कि मुलायम परिवार से मैनपुरी सीट पर चुनाव लड़ने के दावेदारों में धर्मेंद्र यादव से लेकर तेज प्रताप यादव तक के नामों की चर्चा थी. शिवपाल यादव के खुद के भी चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन अखिलेश ने राजनीतिक दांव खेला और अपने पिता मुलायम सिंह की सीट से परिवार के किसी दूसरे सदस्य को उपचुनाव लड़ाने के बजाय अपनी पत्नी डिंपल यादव को चुनावी मैदान में उतार दिया है.