हिंदू धर्म में कई तरह के पूजा-पाठ होते हैं जिनकी विशेष मान्यता होती है। शीतला अष्टमी व्रत की बात करें तो यह 2 अप्रैल को मनाया जाएगा।
हिंदू धर्म में कई तरह के पूजा-पाठ होते हैं जिनकी विशेष मान्यता होती है। शीतला अष्टमी व्रत की बात करें तो यह 2 अप्रैल को मनाया जाएगा। आपको बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार, यह त्यौहार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इतना ही नहीं इस त्यौहार में शीतला मां की पूजा करते हैं और माता से परिवार की सलामती की कामना करते हैं। शीतला अष्टमी के दिन माता को बासी और ठंडे खाने का भोग लगाया जाता हैं। बासी खाना प्रसाद के रूप में प्रसिद्ध माना जाता है और इसे घर के पूरे परिवार को दिया जाता है।
कौन है शीतला माता
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि शीतला माता के बारे में जाने तो यह व्यक्ति को ठंडकता प्रदान करती हैं। व्यक्ति में अनेकों तरह के स्वभाव होते हैं ऐसे में माता गुस्सैल स्वभाव को भी ठंडा कर देती हैं। यदि इस त्यौहार में शीतला माता की पूजा की जाती है, तो व्यक्ति के जीवन से दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं और व्रत करने से रोग दूर हो जाते हैं। इस व्रत के करने से साल भर चर्म रोग व चेचक जैसी बीमारियां नहीं लगती। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि शीतला अष्टमी के दिन यदि कोई व्यक्ति अपने मन में किसी तरह की मनोकामना लेकर माता की आराधना करता है, तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
कैसे करें पूजा
शीतला माता की पूजा करने के लिए सुबह सबसे पहले उठकर स्नान के बाद माता की पूजा की थाली सजाई जाती है। थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा और मीठे भोग रखे जाते हैं। इतना ही नहीं माता के लिए दूसरी थाली भी लगाई जाती है जिसमें आटे का दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी पूजा की सामग्री रखी जाती है। किसी भी त्यौहार में सबसे पहले भगवान की पूजा अपने घर में करनी चाहिए इसके बाद आप मंदिर जाएं।
मंदिर में करें पूजा-पाठ
माता की पूजा की थाली सजाने के बाद आप सबसे पहले घर में पूजा करें, इसके बाद मंदिर में भी जाएं। पूजा के दौरान माता को जल चढ़ाएं रोली और चंदन का टीका लगाए। माता के चरणों में आटे का दीपक जलाएं, इसके बाद दोबारा जल अर्पण करें। इसके बाद यह ध्यान रहे की थोड़ा सा जल घर बचाकर लाना है, ताकि परिवार के सदस्यों को माता का आशीर्वाद मिल सके।