सावरकर के पोते ने राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज कराया मानहानि का केस, जानें पूरा मामला

महाराष्ट्र के पुणें में राहुल गांधी पर एक और मानहानि का केस दर्ज किया गया. इस केस को विनायक दामोदर सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर ने दर्ज कराया है.

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. अब पुणें में राहुल गांधी पर एक और मानहानि का केस दर्ज किया गया. इस केस को विनायक दामोदर सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर ने दर्ज कराया है. यह केस राहुल गांधी के द्वारा लंदन में सावरकर पर दिए गए बयान पर दर्ज कराया गया है.

ये बोले थे राहुल गांधी

दरअसल, राहुल गांधी पिछले महीने लंदन गए थे, इस दौरान उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था, सावरकर ने अपनी एक किताब में लिखा है कि उन्होंने अपने 5-6 दोस्तों के साथ एक मुसलमान को पीटा और उस झगड़े का लुत्फ उठाया. यह सावरकर का अपमान है.

यह दुर्भाग्य पूर्ण है: सत्यकी सावरकर 

समाचार एजेंसी से बातचीत में सत्यकी सावरकर ने कहा, राहुल गांधी ने लंदन में जो भारतीय प्रवासी के साथ बातचीत के दौरान सावरकर का विषय उठाया था. राहुल गांधी ने इस घटना के बारे में बोलते हुए पूछा था कि क्या यह कायराना हरकत नहीं है.

उन्होंने कहा, सबसे पहले बता दूं कि गांधी की सुनाई हुई यह घटना काल्पनिक है. वैज्ञानिक प्रवृत्ति के व्यक्ति सावरकर के जीवन में ऐसी कोई घटना नहीं घटी थी. वह लोकतंत्र में विश्वास करते थे. उन्होंने मुसलमानों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी थी. वी डी सावरकर के बारे में राहुल गांधी का बयान झूठा और दुर्भावनापूर्ण है. उन्होंने यह अपमान करने के उद्देश्य से किया था.

पुणे में दर्ज हुआ मुकदमा

उन्होंने कहा कि सावरकर को इस प्रकार बदनाम करने के बाद हमने चुप नहीं बैठने का फैसला किया. राहुल गांधी के खिलाफ आईपीसी कि धारा 499 और 500 के तहत आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया. उन्होंने दावा किया कि बातचीत के दौरान इस तरह के टिप्पणी का राहुल गांधी का एक वीडियो उपलब्ध है और इसे अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा. 

कौन थे सावरकर 

हिंदुत्ववादी नेता सावरकर का जन्म 19 जुलाई 1883 में भागपुर, नासिक गांव में हुआ था उनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर  है. वह एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, समाज सुधारक और हिंदुत्व के दर्शन के सूत्रधार थे. सावरकर पर महात्मा गांधी की हत्या के मामले में भारत सरकार द्वारा आरोप लगाया गया था. बाद में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया था.

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