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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख भागवत गुरुवार को यानी की आज कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित मस्जिद पहुंचे. यहां उन्होंने अखिल भारतीय इमाम संगठन के मुख्य, डॉ इमाम उमर अहमद इलियासी के अलावा मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक की. इससे पहले मोहन भागवत ने मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ बैठकर उनसे गोहत्या पर अपना रुख साफ करने को कहा था. इसके अलावा मोहन भागवत ने हिन्दुओं के खिलाफ और 'काफिर' (गैर-आस्तिक) और 'जिहाद' (पवित्र युद्ध) जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाए. इस पर सुझाव दिया कि इन शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए.
मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल, जिसने बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा की पैगंबर पर की गई टिप्पणी के मद्देनजर बैठक बुलाने को कहा था, ने बदले में आरएसएस प्रमुख को हाल के दिनों में समुदाय में भय की बढ़ती भावना से अवगत कराया. आरएसएस के एक सूत्र ने कहा कि 75 मिनट की बातचीत में भाईचारे को बढ़ावा देने और धार्मिक समावेशिता के विषय को बढ़ावा देने के तरीके तलाशे गए.
इस बैठक में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट-जनरल जमीर उद्दीन शाह (सेवानिवृत्त), प्रमुख मुस्लिम प्रतिनिधियों में दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी, व्यवसायी सईद शेरवानी और राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दीकी शामिल थे. इस बैठक में मुस्लिम प्रतिनिधियों ने बताया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता करने पर उन्हें देशद्रोही करार दिया जाता है.
सौहार्दपूर्ण बातचीत
बैठक को लेकर सिद्दीकी और कुरौसी ने कहा, 'बैठक के बाद, भागवत ने नियमित रूप से मुस्लिम समुदाय के संपर्क में रहने के लिए चार वरिष्ठ पदाधिकारियों को नियुक्त किया. आगे कहा कि बातचीत बेहद सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई. अपनी तरफ से हम मुस्लिम बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, लेखकों और पेशेवरों तक पहुंच रहे हैं ताकि आरएसएस के साथ इस संवाद को जारी रखा जा सके.
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