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आर्थिक कमजोरी लेकिन मजबूत इरादों के चलते आज एक ईंट बनाने वाले की बेटी ने NEET की परीक्षा पास कर ली है. दुर्ग जिले के डुमरडीह गांव की रहने वाली यमुना चक्रधारी ने चौथे प्रयास में सफलता हासिल की है. यह बच्ची उन सभी बच्चों के लिए प्रेरणा है जो अभाव को कमजोरी समझकर पढ़ाई छोड़ देते हैं. यह उन माता-पिता के लिए एक प्रेरणा है जो अपनी बेटी के बड़े होने पर शादी के बारे में सोचना शुरू कर देते हैं। यह उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो सक्षम होते हुए भी किसी की मदद नहीं कर पाते हैं.
यमुना की गरीबी हालत
आज यमुना डॉक्टर बनने की राह पर निकल पड़ी है. उन्होंने भी कुछ बनने के बाद समाज की हर संभव मदद करने का फैसला किया है. दुर्ग ग्रामीण विधानसभा के ग्राम डूमरडीह की आबादी से बाहर ईंट भट्ठा चलाने वाले बैजनाथ व कुसुम चक्रधारी पुत्री अपने परिवार की सफलता से खुश हैं. माता-पिता के मजबूत इरादों को पूरा करने का जज्बा रखने वाली यमुना चक्रधारी ने 12वीं में 90 फीसदी अंक हासिल कर लगातार चौथे प्रयास में नीट की परीक्षा पास की.
दूसरे नंबर की टॉपर
सबसे खास बात तो यह है कि यमुना गरीबी की हालत में परिवार के किताबी काम में भी 6 से 8 घंटे मेहनत करती थी और जब भी समय मिलता मन लगाकर पढ़ती थी. यमुना की बड़ी बहन युक्ति भी होनहार हैं. वह यूनिवर्सिटी की दूसरे नंबर की टॉपर भी रह चुकी हैं. यमुना की मां ने अनपढ़ होने पर समाज से जो सुना था, उसका उपयोग किया और फैसला किया कि वह अपनी बेटियों के जीवन को अपने तरीके से नहीं जाने देंगी और कुछ न कुछ जरूर करेंगी.
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