18 साल का लड़का गांव से 200 किमी दूर एक कस्बे में गया और चपरासी को इंटरव्यू दिया उसे वह नौकरी नहीं मिली.
18 साल का लड़का गांव से 200 किमी दूर एक कस्बे में गया और चपरासी को इंटरव्यू दिया उसे वह नौकरी नहीं मिली. फिर उन्होंने दिल्ली जाकर कैब ड्राइवर बनने की कोशिश की, लेकिन यहां भी किसी ने उन्हें नौकरी नहीं दी. फिर उन्होंने पैडल रिक्शा चलाना शुरू किया, लेकिन आगे उनकी जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आने वाला था.
सस्ते दरों पर कैब सर्विस
कभी दिल्ली की सड़कों पर रिक्शा चलाने वाले लड़के ने आज दो कंपनियां खड़ी कर दी हैं. दोनों कंपनियों के जरिए वह कई सौ लोगों को रोजगार दे रहा है और देश के हजारों-लाखों लोग उन्हें जानने लगे हैं. यह कहानी है बिहार के एक गांव के बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए एक लड़के की, जिसे कभी चपरासी की नौकरी से निकाल दिया गया था. इस युवक का नाम दिलखुश कुमार है. दिलखुश आर्यगो नाम की कंपनी के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर रह चुके हैं. इसके बाद उन्होंने रॉडबेज कंपनी की स्थापना की, जिसके जरिए वे बिहार में सस्ते दरों पर कैब सर्विस मुहैया कराते हैं.