जस्टिस एन वी रमना बने देश के नए 48वें न्यायाधीश, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ

नए चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस एन वी रमना ने आज शपथ ली है. जानिए उनके बारे खास बातें यहां.

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जस्टिस नुतालपति वेंकट रमणा आज भारत के 48वें मुख्य न्यायधीश बन चुके हैं. आज उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुबह 11 बजे शपथ दिलाई है. कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के अलावा सुप्रीम कोर्ट के कई जज मौजूद रहे थे. जस्टिस रमणा का कार्यकाल लगभग 16 महीने का होगा. यानी जस्टिस रमणा का कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक है.

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जानिए जस्टिस नुतालपति वेकंट रमणा से जुड़ी खास बातें

- अविभाजित आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में 27 अगस्त, 1957 को जस्टिस नाथुलापति वेकट रमणा का जन्म हुआ था.

- सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर वो 2 फरवरी 2017 में नियुक्त हुए थे.

- 10 फरवरी 1983 में उन्होंने वकालत करने का काम किया था.

- जस्टिस रमणा उस वक्त आंध्र प्रदेश सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल रह चुके थे जब चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के सीएम थे.

- किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले रमन्ना ने ग्रैजुएशन विज्ञान और कानून में की थी. बाद में उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट, केंद्रीय प्रशासनिक ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में कानून की प्रैक्टिस शुरू की. साथ ही राज्य सरकारों की एजेंसियों के लिए उन्होंने पैनल काउंसेल के तौर पर भी अपनी ड्यूटी निभाई थी.

- इसके अलावा आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में वो स्थायी जज के तौर पर नियुक्त हुए थे. बाद में 2013 के अंदर 13 मार्च से लेकर 20 मई तक वो आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस रहे थे.

- 2 सितंबर 2013 में रमणा का प्रमोशन हुआ और उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर नियुक्त किया गया. बाद में 17 फरवरो 2014 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया.

- सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों की लिस्ट में एसए बोबड़े के बाद वो दूसरे नंबर पर रहे हैं.

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एनवी रमणा से जुड़े विवाद

-आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी ने चीफ जस्टिस को एक चिट्ठी भेजी थी. चिट्ठी में रमना के दखल की शिकायत का जिक्र किया गया था.

- इतना ही नहीं अमरावती जमीन घोटाले में भी उनके परिवार के कुछ लोगों की भूमिका होने का आरोप तक लगा था.

- रमन्ना के नाम की सिफारिश से ये साफ हो जाता है कि चीफ जस्टिस ने शिकायत को पूरी तरह से खारिज कर दिया.


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