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वैसे ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं है कि इश्क और राजनीति के लिए एक इंसान न जाने क्या-क्या कर बैठता है। ये बात तो हम अकसर सबसे ज्यादा राजनीति की दुनिया में होते हुए देखते हैं। यहां वैसे कब क्या हो जाए किसी को भी नहीं पता चलता। क्योंकि इसकी डोर सीधे तौर पर जनता के हाथ में होती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमें बिहार के विधानसभा चुनाव में साफ देखने को मिला। चुनाव के परिणाम के मुताबिक बीजेपी को 74 सीटें मिलीं जो जदयू को मिली 43 सीटों से 31 सीट से अधिक है। इन सबके बाद नीतीश कुमार को 7वीं बार बिहार का सीएम बनाया गया। सोमवार के दिन उन्होंने 7वीं बार शपथ ली है। लेकिन क्या आपको पता है कि कैसे राजनीति की दुनिया में सीएम नीतीश कुमार ने रखा कदम जोकि कभी बाबू के पद पर कर रहे थे काम।
- साल 1977 और फिर 1980 के चुनाव में नीतीश नालंदा की हरनौत सीट से हार गए थे उस वक्त राजनीति से निकलना चाहते थे।
- बिजली विभाग में बाबू की नौकरी छोड़ राजनीति में कूदे, समय के साथ सियासी बुलंदियों को छूते गए।
- 1977 के विधानसभा चुनाव में नालंदा जिले की हरनौत सीट से नीतीश ने पहली बार लड़ा चुनाव और मिली हार।
- पहले चुनाव में जिससे नीतीश को हार मिली थी, उस नेता का नाम था भोला प्रसाद सिंह।
- 1980 में जनता पार्टी के टिकट पर दोबारा इसी सीट पर नीतीश लड़े और अरुण कुमार सिंह को हराया।
- हार से परेशान हुए नीतीश ने बनाया राजीनिति छोड़ने का मन, बनना चाहते थे सरकारी ठेकेदार।
- शादी के काफी वक्त बाद और 7 साल यूनिवर्सिटी छोड़कर बैठे थे नीतीश, नहीं कमाया था एक भी पैसा।
- 1985 में विधायक बनने के बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में बाढ़ से जीतकर पहुंचे थे लोकसभा।
- 1989, 1991, 1996, 1998,1999 और 2004 इन 6 सालों में जीता है लोकसभा का चुनाव।
-नीतीश ने आखिरी लोकसभा चुनाव 2004 में लड़ा। नीतीश बाढ़ और नालंदा दो जगहों से खड़े हुए थे।
- अटलजी के चलते ही पहली बार मुख्यमंत्री बने, 3 मार्च 2000 को ली शपथ, 7 दिन में दिया इस्तीफा।
-2004 में नीतीश कुमार एडीए से अलग हो गए और लाल यादव के करीब आते हुए नजर आए।
- लालू रेल मंत्री बने, वही नीतीश ने कोल और स्टील मंत्री के पद को बखूबी संभाला।
- 2005 में विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में आए। दूसरी बार सीएम बने।
- वहीं, 2006 में पहली बार विधान परिषद के बने सदस्य, 2012 में दूसरी और 2018 में तीसरी बार बने सदस्य
- 2015 में नीतीश की जद्यू, राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में हुई शामिल। बहुमत मिली और बने सीएम।
- 2017 में तेजस्वी यादव पर लगा भ्रष्टाचार का आरोप तो नीतीश ने छोड़ा महागठबंधन और सीएम पद।
- 2020 में फिर से बने लगातार 7वीं बार बिहार के सीएम, चुने गए एनडीए के नेता।
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