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10 दिसंबर का दिन भारत की राजनीति में काफी ज्यादा चर्चा के अंदर रहा है। ऐसा इसीलिए क्योंकि इस दिन भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद की नई बिल्डिंग का शिलान्यास किया है। सामने आई जानकारी के मुताबिक नई बिल्डिंग आजादी के 75 साल पूरे होने तक बनकर तैयार हो जाएगी। 2022 तक बनने वाला नया संसद भवन 64,500 वर्ग मीटर में फैला होगा। सरकार के अनुसार, नया भवन मौजूदा 93 साल पुराने संसद भवन की जगह लेगा।
इस संसद भवन की बिल्डिंग के भूमिपूजन में हर धर्म के लोग प्रार्थना करते हुए नजर आए थे। इस अहम कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह समेत रक्षा मंत्री रजनाथ सिंह, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के अलावा कई बड़े नेता मौजूद रहे थे। आइए हम आपको बताते हैं कि नई संसद की क्या होने वाली है खासियत और क्यों सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी आपत्ति।
ये है नई संसद भवन की खासियत
1. नए संसद भवन में लोकसभा का पैमान वर्तमान के मुकाबले तीन गुना बड़ा होगा। राज्यसभा का आकार भी वर्तमान राज्य सभा से बड़ा होगा।
2. इस संसद को बनाने का जिम्मा टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को सौपा गया है। वहीं, इसका डिजाइन एचसीपी मैनेजमेंट की ओर से किया गया है, जोकि अहमदाबाद से है।
3. केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि नया संसद भवन संवेदनाओं और आकांक्षाओं के हिसाब से होगा और आधुनिक तकनीकों से लैस होगा।
4. नया संसद भवन चार मंजिल का होने वाला है। इसके अलावा खर्चे की बात करें तो वो 971 करोड़ रुपए तक का है।
5. भवन में छह प्रवेश द्वार होंगे: एक राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए, लोकसभा के अध्यक्ष के लिए एक, राज्य सभा के अध्यक्ष और सांसद के लिए सामान्य रूप से एक औपचारिक प्रवेश द्वार आदि।
6. नए संसद परिसर में चार मंजिले होंगी- अपर फ्लोर, लोअर फ्लोर, पहली और दूसरी मंजिल।
7. लोकसभा कक्ष में 888 सीटें होंगी और यह 1,145 वर्ग मीटर के क्षेत्र को कवर करेगी।
8. इसका त्रिभुजा डिजाइन इसे खास बनाने का काम करेगा। जिसे बेहतर स्पेस मैनेजमेंट के लिए,भूकंपरोधी सिस्टम के मुताबिक जेड और जेड प्लस लेवल सुरक्षा सुनिश्चित करने, इको फ्रेंडली, ग्रीन कंस्ट्रक्शन से, बिजली खपत होगी 30 % तक कम होगी इस हिसाब से बनाया जाएगा।
क्यों बनाया जा रहा है नया संसद भवन?
दरअसल नए संसद का निर्माण इसीलिए किया जा रहा है क्योंकि पूराने संसद भवन की पूरानी संरचना में सीटिंग अरेंजमेंट बढ़ाना मुश्किल है। वहीं, मुश्किल है इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी में सुधार और अपग्रेड करना। वहीं, जो मौजूद संसद भवन की बिल्डिंग है उसे एक म्यूजिम के तौर पर रखना जाना है। लेकिन उसमें काम चलता ही रहेगा।
आखिर क्यों सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी
वहीं, नए संसद भवन के संट्रोल विस्टा प्रोजेक्ट का जो तरीका है उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। उन्होंने इस मामले में जो याचिका दायर की गई थी उसको लेकर कहना था कि इस प्रोजेक्ट के चलते कोई कंस्ट्रक्शन, तोड़फोड़ आदि तब तक नहीं होना चाहिए जब तक कि पेंडिंग अर्जियों को लेकर आखिरी फैसला न सुनाया जाए।
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