BREAKING: कोर्ट के फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत जाएगा मुस्लिम पक्ष

ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में वाराणसी जिला कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. जिला कोर्ट ने हिन्दू के पक्ष में फैसला सुनाया है.

  • 605
  • 0

ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में वाराणसी जिला कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. जिला कोर्ट ने हिन्दू के पक्ष में  फैसला सुनाया है. जिला अदालत के जज अजय कृष्ण विश्वेश ने ये फैसला सुनाया है. जज ने फैसला को सुनाते हुए श्रृंगार गौरी मंदिर में  पूजन- दर्शन की अनुमति की मांग वाली याचिका को सुनवाई के लायक माना है. इस फैसले के आने के बाद हिन्दू पक्ष में  काफी  खुशी है. हिंन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है. विष्णु शंकर जैन ने यह भी बताया है कि इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. इस फैसले को हिन्दू के पक्ष में आने के बाद मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट जा सकता है. हालांकि मुस्लिम पक्ष इस फैसले को किसी उपरी अदालत में चुनौती देने की बात को अभी साफ-साफ नहीं कह रहा है. मगर कयास लगाए जा रहे हैं कि मुस्लिम पक्ष इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती के लिए जा सकता है. 

क्या करेगा? अब मुस्लिम पक्ष

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने के सदस्य मौलाना खालिद फिरंगी महल ने अपने एक बयान में कहा है कि इस पूरे फैसले को पढ़ा जाएगा और उसके बाद आगे क्या करना है यह तय किया जाएगा. मौलाना ने बताया कि बाबरी मस्जिद का फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1991  के वर्शिप एक्ट में जो कहा था. उससे एक उम्मीद जगी थी कि मस्जिद से जुड़े सारे फैसले हल कर लिए गए है. मगर ऐसा नही हुआ है उसके बावजूद यह फैसला आया है. उन्होंने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. इस पर अभी हमारी टीम लीगल स्टडी करेगी उसके बाद आगे के कदम क्या उठाना है यह तय किया जाएगा.

ज्ञानवापी का क्या है पूरा मामला?

गौरतलब है कि 18 अगस्त 2021 को पांच महिलाओं ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर के कोर्ट में एक मुकदमा दाखिल किया. मुकदमे में पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के मंदिर में रोजाना पूजन- दर्शन की मांग की थी. अदालत के आदेश पर इसी साल 14,15और 16 मई को ज्ञानवापी का सर्वे किया गया.  सर्वे के बाद हिन्दू पक्ष के वकिल ने विष्णु जैन ने यहां पर शिवलिंग मिलने का दावा किया. मगर मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा था कि यह शिवलिंग  नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है. इसके बाद कोर्ट ने सिविल जज से जिला अदालत ट्रांसफर कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ये मामला काफी 'जटिल' और 'संवेदनशील' है, इसलिए बेहतर होगा कि इसकी सुनवाई 25-30 साल का अनुभव रखने वाले जज करें.


 

LEAVE A REPLY

POST COMMENT