हिजरी कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम इस्लामी साल का पहला महीना है. आइए जानते है मुहर्रम को लेकर सरकार ने क्या गाइडलाइन जारी की है.
हिजरी कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम इस्लामी साल का पहला महीना है. बीते 9 अगस्त की शाम चांद के बाद 1443 हिजरी की शुरुआत हो चुकी है. इस्लाम मज़हब में मुहर्रम गम का महीना माना जाता है क्योंकि इसी महीने इराक में कर्बला नामक जगह पर यज़ीद और इमाम हुसैन के बीच लड़ाई हुई थी. कर्बला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के पोते इमाम हुसैन समेत 72 साथियों ने शहादत दी थी. मुहर्रम के महीने के आशुरा को इमाम हुसैन शहीद हुए थे जो हिजरी कैलेंडर के अनुसार इस बार 20 अगस्त 2021 को पड़ रहा है. खासकर शिया मुसलमान हुसैन की याद में मजलिस करके उन दिनों को याद करते हैं.
मुहर्रम और हज़रत इमाम हुसैन की शहादत
हजरत इमाम हुसैन इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद के पोते थे. उन्होंने इस्लाम और मानवता की रक्षा के लिए अपने परिवार और दोस्तों की बलि दे दी थी. इसी शहादत की याद में शिया मुसलमान द्वारा ताजिए निकाले जाते हैं. यह ताजिया उन शहीदों का प्रतीक माना जाता है. इस ताजिया को एक जुलूस में निकाला जाता है और फिर उन्हें दफनाया जाता है. उदाहरण के लिए इमाम हुसैन का मकबरा अभी भी इराक में है इसलिए यह पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए दुख का महीना है.
मुहर्रम के महीने का आशूरा
हिजरी कैलेंडर के अनुसार महीने के दसवें दिन को आशूरा कहा जाता है. इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, दर्दनाक घटना मुहर्रम के आशूरा के दिन हुई थी जिसे याद कर आज भी सभी की आंखों में आंसू आ जाते हैं. हालांकि इमाम हुसैन ने यजीद की सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी, लेकिन 10 तारीख यानी आशूरा को वह शहीद हो गए. भारत समेत कई देशों में इस दिन मुहर्रम मनाया जाता है.
मुहर्रम को लेकर सरकार ने जारी की गाइडलाइंस
मुहर्रम को लेकर देश के अलग-अलग राज्यों ने गाइडलाइन जारी कर दी है. इस साल कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए मुहर्रम में ताजिया और जूलूस निकालने की परमिशन नहीं होगी. वही इस बार मुहर्रम कल 19 अगस्त 2021 को पूरे देश में मनाया जाएगा. इन गाइडलाइन का मकसद जूलूस में होने वाली भीड़ को कम करना और कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकना है. आइए जानते है मुहर्रम को लेकर सरकार ने क्या गाइडलाइन जारी की है.
उत्तर प्रदेश
मुहर्रम को लेकर यूपी सरकार ने गाइडलाइन जारी कर दी है. सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि धार्मिक कार्यों के लिए किसी भी स्थान पर 50 से ज्यादा लोग एकत्र नहीं होंगे. इसके साथ ही लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का भी संपूर्ण रुप से पालन करना होगा. सार्वजनिक रूप से ताजिया व स्थापित नहीं किए जाएंगे. ताजिया व अलम अपने-अपने घरों में स्थापित करें इस पर किसी प्रकार की रोक नहीं रहेगी. संवेदनशीन एवं कंटेनमेंट जोन में पर्याप्त संख्या में पुलिस की तैनाती होगी.