एक शोध में यह बात साबित हो चुकी है कि सुबह 6 बजे से दोपहर के बीच होने वाले दिल के दौरे सबसे खतरनाक होते हैं। शोध में यह बात साबित हो चुकी है कि ज्यादातर दिल का दौरा सुबह के समय पड़ता है।
एक शोध में यह बात साबित हो चुकी है कि सुबह 6 बजे से दोपहर के बीच होने वाले दिल के दौरे सबसे खतरनाक होते हैं। शोध में यह बात साबित हो चुकी है कि ज्यादातर दिल का दौरा सुबह के समय पड़ता है। हाल ही में स्पेन में एक शोध किया गया है जिसमें यह साबित हुआ है कि दिल का दौरा अक्सर सुबह के समय पड़ता है। सुबह 6 बजे से दोपहर के बीच होने वाले दिल के दौरे सबसे खतरनाक होते हैं।
ऑक्सीजन की कमी
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर इस समय दिल का दौरा पड़ता है, तो इसका लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा मृत ऊतक में परिवर्तित हो जाता है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव उस व्यक्ति पर पड़ता है। ऐसा कम ही होता है जब दिल का दौरा दिन के किसी अन्य समय में पड़ता है। तब 'कार्डियोवैस्कुलर फिजियोलॉजिकल' प्रक्रियाएं अधिक होती हैं। ऑक्सीजन की कमी के कारण हृदय ऊतक का एक हिस्सा मर जाता है और कार्य नहीं करता है।
सिस्टम की आंतरिक रुकावट
हार्ट अटैक सर्कैडियन सिस्टम की आंतरिक रुकावट के कारण होता है। यह नींद, जागने और थकान जैसी समस्याओं को नियंत्रित करने का काम करता है। सर्कैडियन लय सुबह के समय दिल के दौरे और स्ट्रोक का कारण बनती है।
रक्त का प्रवाह में रुकावट
कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में बहुत अंतर है। हार्ट अटैक तब होता है जब हृदय तक रक्त नहीं पहुंच पाता, लेकिन कार्डियक अरेस्ट में हृदय अचानक काम करना बंद कर देता है। जब धमनियों में रक्त का प्रवाह रुक जाता है या ख़त्म हो जाता है तो हृदय का वह हिस्सा ऑक्सीजन की कमी के कारण ख़त्म होने लगता है। वहीं, कार्डियक अरेस्ट में दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है। ऐसा होने पर कुछ भी हो सकता है।
अगर दोनों में से ज्यादा खतरनाक की बात करें तो वह है कार्डियक अरेस्ट. क्योंकि इसमें कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं जबकि हार्ट अटैक के लक्षण 48 से 24 घंटे पहले ही दिखने लगते हैं। दिल का दौरा पड़ने पर मरीज को ठीक होने और अपनी जान बचाने का मौका मिलता है, जबकि कार्डियक अरेस्ट में कोई चांस नहीं होता।