भारत की पहली ट्रक ड्राइवर बनी योगिता रघुवंशी, जानिए उन्होंने कैसे चुनौतियों का सामना करके अपनी मंजिल को हासिल किया.
आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर काम को करती है. आज के समय में महिलाएं कार हो या हवाई जहाज उड़ाती है. हम उन्हें देखकर ये जताने की कोशिश करते हैं कि महिलाएं पुरुषों के बराबर हैं. ऐसे में हम आपको योगिता रघुवंशी के बारे में बताने जा रहे है जोकि भारत की पहली महिला ट्रक ड्राइवर हैं. बता दें कि योगिता हमारे देश की क्वालिफाइड वकील बनकर रुतबा हासिल कर सकती थी पर उन्होंने उस राह को चुना जिसकर केवल पुरुष चलते हैं. वो राह जो खतरों और जोखिमों से भरी है. वो राह जहां महिलाओं के जाने पर उनके चरित्र तक लांछन लगा दिए जाते हैं.
ये भी पढ़े:Hindustani Bhau को Mumbai Police ने किया Arrested, छात्रों के समर्थन में कर रहे थे विरोध
एक हादसे ने बदल दी जिंदगी
योगिता रघुवंशी की जिंदगी यूं तो आम भारतीय महिलाओं की तरह ही थी. चार भाई-बहनों के साथ महाराष्ट्र के नंदुरबार में पली बढ़ी, कॉमर्स और लॉ में डिग्री हासिल की. परिवार ने योगिता के एक अच्छा लड़का देखकर उसकी शादी तय कर दी. यूं तो योगिता नौकरी करना चाहती थी पर यह शादी भी जरुरी थी. हर बेटी की किस्मत योगिता जैसी हो ये जरुरी नहीं. योगिता को पति का साथ मिला और उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी.
चूंकि उनके पति खुद वकालत के पेशे में थे इसलिए वे योगिता की योग्यता को पहचान गए और उन्होंने उसे कानून की शिक्षा लेने की सलाह दी. योगिता ने लॉ कॉलेज में दाखिला लिया और अपनी पढ़ाई को जारी रखा. इसी बीच वे दो बच्चे याशिका और यशाविन की मां बनी. सबकुछ ठीक चल रहा था. तभी जिंदगी में एक अनचाहा हादसा हुआ. जब तक .योगिता की पढ़ाई पूरी हुई और वे कोर्ट की चौखट पर पहुंचती उससे पहले उनके पति का देहांत हो गया.
तानें सुने पर नहीं हारी हिम्मत
योगिता कहती हैं, 'पति पेशे से वकील था, लेकिन वह साइड पर ट्रांसपोर्ट का काम करता था. जब मैं अपने पहले पेशे में अच्छी कमाई नहीं कर रहा था, तो मुझे परिवहन में रुचि होने लगी. परिवार के सदस्य उसके साथ थे, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने मुझे ट्रांसपोर्ट लाइन पर जाने के लिए खुश नहीं किया. इसका कारण ट्रक ड्राइवरों की खराब छवि थी. महिलाओं का उनके आसपास होना असुरक्षित माना जाता है. लेकिन सभी भ्रम परिवहन से टूट गए थे.
ये भी पढ़े:कोविड से बचने के लिए लोग कर रहे है देसी नुस्ख़ों का इस्तेमाल, हेल्थ को हो सकता है नुकसान
जब योगिता ट्रांसपोर्ट में शामिल हुईं, तो उनके पास 3 ट्रक थे. वह ऑफिस में काम करती थी, ड्राइवर सामान ढोते थे. लेकिन फिर एक और दुर्घटना हुई. हैदराबाद में समान ले जाते समय ट्रक का एक्सीडेंट हो गया. जल्दी-जल्दी में योगिता हैदराबाद पहुंची. वहा पहुंचकर ट्रक की मरम्मत की और उसे भोपाल ले गई.यह पहला अनुभव था जब योगिता समझ गई थी कि उसे इस व्यवसाय में बने रहने के लिए खुद को स्टीयरिंग संभालना होगा. योगिता ने ट्रक ड्राइविंग की ट्रेनिंग ली, फिर ड्राइवरों के साथ बैठने का अनुभव मिला और कुछ महीनों के बाद वह खुद एक फ़ुट टाइम ट्रक ड्राइवर बन गईं. योगिता कहती हैं कि जब मैं ट्रेनिंग कर रही थी, तो कई ट्रक ड्राइवर मेरा मज़ाक उड़ाते थे. वे सोचते थे कि मैं एक महिला हूं, इसलिए यह काम मेरे लिए नहीं है.
कठिन परिश्रम से बनी एकमात्र महिला ट्रक ड्राइवर
ताने सुने, जलील हुई लेकिन योगिता का धैर्य नहीं टूटा. उन्होंने अपने परिवहन व्यवसाय के लिए ट्रक चलाना शुरू कर दिया. अब इस काम को करते हुए 16 साल बीत गए. योगिता कई रातों के लिए एक लंबा रास्ता तय करती है. इतना ही नहीं, कई बार इस काम में पुरुष ड्राइवरों से उनकी लड़ाई भी हुई. कुछ ने रास्ते में हमला भी किया. लेकिन वह खड़ी रही आज तक उनके हाथ से कोई दुर्घटना नहीं हुई है. माल की डिलीवरी में कभी देरी नहीं हुई. वह एक सफल व्यवसायी होने के साथ-साथ भारत में पहली और एकमात्र महिला ट्रक ड्राइवर हैं.