पुलिस ने जहरीली शराब के मास्टरमाइंड राम बाबू को अरेस्ट कर लिया गया है. दिल्ली पुलिस ने बिहार पुलिस को इन्फॉर्म कर दिया है. आरोपी ने कथित रूप से शराब में केमिकल डालकर तैयार किया था.
बिहार में नकली शराब बनाने वाला मास्टरमाइंड राम बाबू 35 को क्राइम ब्रांच ने दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है.दिल्ली पुलिस ने इस बात की सूचना बिहार पुलिस को दे दी है. दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के अनुसार, बिहार शराब कांड में पकड़े गए मास्टरमाइंड का नाम राम बाबू है. उसकी उम्र 35 साल है. दिल्ली क्राइम पुलिस का दावा है कि बिहार में शराब कांड का मास्टरमाइंड शराब में केमिकल डालकर तैयार किया था. जिससे बिहार के सारण में जहरीली शराब पीने से 75 लोगों की मौत हो गई.
जहरीली शराब पीने से 83 लोगों की हुई थी मौत
पुलिस ने जहरीली शराब के मास्टरमाइंड राम बाबू को अरेस्ट कर लिया गया है. दिल्ली पुलिस ने बिहार पुलिस को इन्फॉर्म कर दिया है. आरोपी ने कथित रूप से शराब में केमिकल डालकर तैयार किया था. बता दें कि अकेले बिहार के सारण में ही जहरीली शराब पीने से 75 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं आसपास के जिलों में हुई मौतों को मिलाकर कुल आंकड़ा 83 के पार हो चला है. क्राइम ब्रांच का दावा है कि मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी के बाद बिहार शराब कांड के कई गहरे राज से पर्दा उठेगा.
मृतकों की संख्या हो रहा था लगातार इजाफा
सारण में जहरीली शराब से मौत का पहला मामला आया था.एक ही दिन में पांच लोगों की मौत से हड़कंप मच गया था. अगले दिन छह दिसंबर की शाम तक मौत का आंकड़ा 18 पहुंच चुका था. इसके बाद मौत ने अपना दायरा बढ़ाते हुए सारण से लेकर छपरा व सीवान तक पहुंच गया और अब तक 83 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. हालांकि विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस घटना में 150 से अधिक मौत का दावा किया है.
मरने वाले ज़्यादातर ग़रीब और मज़दूर
ज़हरीली शराब से सबसे ज़्यादा प्रभावित छपरा के बहरौली, इशुआपुर, मशरख, अमनौर और इसके आसपास के कई गांव हैं. इन इलाकों में बड़ी संख्या में दलित, मुसलमान, यादव और कई अन्य पिछड़ी जातियों के लोग रहते हैं. इनमें से ज़्यादातर लोग मज़दूरी का काम करते हैं जो मिस्त्री का काम जानते हैं. ज़हरीली शराब से हुए इस हादसे में सबसे ज़्यादा ग़रीब दलितों की मौत हुई है. लेकिन शराब का ये क़हर, जाति और धर्म देखकर लोगों पर नहीं टूटा. मुस्लिम हों या यादव, हर किसी को इसने अपना शिकार बनाया.
नीतीश सरकार पर उठे सवाल
बता दें कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है, बावजूद जहरीली शराब पीने से हो रही मौत की घटनाओं ने नीतीश सरकार पर सवालिया निशान उठे. इससे पहले, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिदायत दी थी कि अगर लोग जहरीली शराब का सेवन करेंगे तो वे मौत को गले लगाएंगे. मुख्यमंत्री की तीखी टिप्पणी तब आई जब शराबबंदी की उनकी नीति पर राजनीतिक रणनीतिकार से कार्यकर्ता बने उनके पूर्व सहयोगी प्रशांत किशोर सहित कई लोगों ने उन्हें निशाना बनाया और शराबबंदी कानून को खत्म करने की मांग की.
सरकार ने मुआवजा देने से किया था मना
16 दिसंबर को नीतीश कुमार ने कहा, "शराब पीकर और भी राज्यों में लोग मर रहे हैं. शराब पीना ग़लत है. हम तो कह रहे हैं जो पिएगा, वो मरेगा. दारू पीकर मरने वालों को हम कोई मुआवज़ा देंगे इसका सवाल ही नहीं उठता."
ज़हरीली शराब से मौतें
बिहार में ज़हरीली शराब पीकर कई बार लोगों की मौत भी हुई हैं. अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद से अब तक क़रीब 300 लोगों की मौत ज़हरीली शराब पीने से हुई है.बिहार के औरंगाबाद में इसी साल ज़हरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गई थी.
पिछले साल भी हुई थी मौत
पिछले साल भी अक्टूबर-नवंबर महीने में राज्य के गोपालगंज, सिवान, और चंपारण में एक महीने के अंदर ज़हरीली शराब पीने से 65 से ज़्यादा लोगों की मौत के मामले सामने आए थे.