पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने 292 में से 213 सीटें जीत लीं तो पिछली बार 3 सीटों पर सिमटी बीजेपी ने इस बार 77 सीटें हासिल की हैं.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने 292 में से 213 सीटें जीत लीं तो पिछली बार 3 सीटों पर सिमटी बीजेपी ने इस बार 77 सीटें हासिल की हैं. नतीजों के विश्लेषण से पता चलता है कि 240 विधानसभा क्षेत्रों वाले दक्षिण बंगाल में तृणमूल कांग्रेस बहुत से हिंदुओं आदिवासी और दलित वोटर्स को दोबारा जोड़ने में सफल रही जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का साथ दिया था.
दूसरी तरफ उत्तर बंगाल में टीएमसी के दो प्रमुख मंत्री हार गए तो बीजेपी ने 54 में से 30 सीटों पर कब्जा जमाया. सोमवार को आए नतीजों के बाद चुनाव आयोग ने बताया कि टीएमसी को बंगाल में 47.9 फीसदी वोट मिले तो बीजेपी की हिस्सेदारी 38.1 फीसदी रही. दोनों पार्टियों में करीब 98 फीसदी वोटों का अंतर रहा। 2011 में भी जब टीएमसी और कांग्रेस ने साथ चुनाव लड़ा था, लेफ्ट फ्रंट को 7.4 फीसदी कम वोट मिले थे.
2011 और 2016 में टीएमसी ने क्रमश 184 और 211 सीटों पर कब्जा जमाया था. 2011 में बीजेपी कोई सीट नहीं जीत पाई थी लेकिन 2016 में उसने 3 सीटों पर कब्जा किया. 2019 के लोकसभा चुनाव में भगवा दल ने 42 में से 18 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की. उस परिणाम के मुताबिक, बीजेपी 121 विधानसभा सीटों पर आगे थी लेकिन 8 चरणों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ जिलों में तस्वीर बदल गई.
उत्तर और दक्षिण बंगाल में बीजेपी ने भारत-बांग्लादेश से सटे क्षेत्रों में बीजेपी को काफी वोट मिले, जहां 1947 और 1971 के बाद पूर्वी पाकिस्तान से आए हिंदुओं की काफी आबादी है. यह मालदा और मुर्शिदाबाद में भी हुआ जहां मुसलमानों की आबादी अधिक है मालदा जिले में मुसलमानों की आबादी में हिस्सेदारी 51.27 फीसदी है बीजेपी ने हबीबपुर सीट को 47.52 फीसदी वोटों के साथ कब्जाया जबकि टीएमसी को यहां 37.66 फीसदी वोट मिले.
यह मालदा की उन 5 सीटों में से है जिनपर बीजेपी को जीत मिली, शेष 7 सीटें टीएमसी के खाते में गईं. साथ सटे मुर्शिदाबाद में जोकि दक्षिण बंगाल का हिस्सा है, मुसलमानों की आबादी में हिस्सेदारी 66.28 फीसदी है यह बंगाल के सभी जिलों में सर्वाधिक है. बंगाल में 294 सीटें हैं, लेकिन वोट 292 सीटों पर पड़े थे क्योंकि जांगीपुर और समशेरगंज में दो प्रत्याशियों की मौत कोरोना की वजह से हो गई. सोमवार को चुनाव आयोग ने इन दोनों सीटों पर वोटिंग को अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया है. पहले 16 मई को मतदान कराने का फैसला लिया गया था.