किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि इस महापंचायत में 32 किसान संगठन शामिल होंगे. टिकैत ने कहा कि इस बार का आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं कर देती.
दिल्ली के रामलीला मैदान में अलग-अलग राज्यों से किसान जुटेंगे. ये किसान राजधानी में होने वाली किसान महापंचायत में शरीक होंगे. संयुक्त किसान मोर्चा ने आज दिल्ली के रामलीला मैदान में महापंचायत बुलाई है. केंद्र सरकार की कृषि नीतियों से नाराज किसान एक बार फिर लामबंद होने लगे हैं. ये महापंचायत किसानों पर दर्ज मामले वापस न लेने, कर्ज माफी, मुफ्त बिजली और एमएसपी न देने के विरोध में बुलाई गई है. इसके मद्देनजर दिल्ली पुलिस सोमवार को करीब 2000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात करेगी. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
महापंचायत में 32 किसान संगठन होंगे शामिल
किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि इस महापंचायत में 32 किसान संगठन शामिल होंगे. टिकैत ने कहा कि इस बार का आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं कर देती. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो वादे किए थे, वो अभी तक पूरे नहीं हुए हैं. टिकैत ने कहा कि सरकार ने उत्पादन की कुल लागत पर 50 फीसदी एमएसपी लागू करने का लिखित आश्वासन दिया था .
महापंचायत के लिए विस्तृत सुरक्षा व्यवस्था
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया,'हमने किसान महापंचायत के लिए विस्तृत सुरक्षा व्यवस्था की है. हम लोगों की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करेंगे.' उन्होंने बताया, 'हम कार्यक्रम को शांतिपूर्ण संपन्न कराने और कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए दो हजार से अधिक जवानों को तैनात करेंगे.'
ये हैं प्रमुख मांगे
बता दें कि, संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी पर गठित समिति और घोषित एजेंडा किसानों की मांगों के उलट है। केंद्र वादों के अनुरूप वर्तमान समिति को रद्द कर एसकेएम के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए किसानों के उचित प्रतिनिधित्व के साथ, सभी फसलों की कानूनी गारंटी के लिए एमएसपी पर एक नई समिति को गठित करे.
कृषि में बढ़ती लागत और लाभकारी मूल्य न मिलने के कारण 80 फीसदी से ज्यादा किसान कर्ज में डूब चुके हैं। वह आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार किसानों के लिए कर्ज मुक्ति और उर्वरकों सहित लागत कीमतों में कमी करे
किसान कर्ज माफी, 5000 रुपए की हर महीने पेंशन, सिंचाई के लिए 300 यूनिट मुफ्त बिजली और एमएसपी की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मामले वापस लेने की मांग कर रहे हैं.