जैन धर्म के संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी ने अपना देह त्याग दिया है, 3 दिन की समाधि लेने के बाद वह ब्रह्मलीन हो चुके हैं। इसके बाद उनके शिष्य समर सागर जी महाराज जैन धर्म के अगले शिरोमणि आचार्य बनेंगे।
जैन धर्म के संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी ने अपना देह त्याग दिया है, 3 दिन की समाधि लेने के बाद वह ब्रह्मलीन हो चुके हैं। इसके बाद उनके शिष्य समय सागर जी महाराज जैन धर्म के अगले शिरोमणि आचार्य बनेंगे। बता दे कि, मुनि शिष्य समय सागर जी महाराज की उम्र 65 साल की है वह कर्नाटक के रहने वाले हैं। इतना ही नहीं जैन धर्म के लोग संत शिरोमणि आचार्य द्वारा बताए गए मार्गों पर आगे बढ़ते हैं। आचार्य समय सागर जी महाराज पहले शांतिनाथ जैन के नाम से जाने जाते थे, उनके पिता का नाम मल्लप्पाजी जैन है, उनकी माता का नाम श्रीमंति जी जैन है। संत शिरोमणि समय सागर जी महाराज कुल छह भाई बहनों में छठे नंबर पर आते थे।
आचार्य ने कहां से ली दीक्षा
बता दें कि, संत शिरोमणि आचार्य समय सागर जी महाराज ने अपना ब्रह्मचर्य व्रत 1975 मे अपनाया था, 18 दिसंबर 1975 को उन्होंने झुल्लक दीक्षा ली, उन्होंने अपनी यह दीक्षा छतरपुर मध्य प्रदेश में ली है। वहीं, मुनि दीक्षा 8 मार्च 1980 को जैन सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरी छतरपुर मध्य प्रदेश में प्राप्त किए। आचार्य के दीक्षा गुरु की बात करें तो उनके गुरु विद्यासागर जी महाराज रहे हैं। बता दें कि, आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के बाद जैन धर्म के अगले आचार्य समय सागर जी महाराज उनके सगे भाई हैं।
पीएम मोदी ने भी किए थे दर्शन
नवंबर में छत्तीसगढ़ चुनाव से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आचार्य विद्यासागर महाराज के दर्शन किए थे और उनका आशीर्वाद भी लिया था। महाराज को जनकल्याण के लिए जाना जाता है, उन्होंने न केवल गरीब लोगों बल्कि जेल के कैदियों तक के लिए काम किया है। आचार्य विद्यासागर महाराज का देश के लिए हमेशा से कहना था कि, "इंडिया नहीं भारत बोलो" और वह हमेशा से ही हिंदी राष्ट्र और हिंदी भाषा को बढ़ाने में अग्रसर रहे हैं।