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नवरात्रि का महत्व सनातन धर्म में काफी ज्यादा मना गया है। पूरे साल में चार नवरात्रि आती हैं, जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि को सबसे खास माना जाता है। ये नवरात्रि में मां दुर्गा को समर्पित होते हैं। 9 दिन मां की पूजा धूमधाम के साथ की जाती है। नवरात्रि का दसवां दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। 3 अक्टूबर से इसकी शुरुआत होने जा रही है, जिसकी समापति 12 अक्टूबर के दिन होने वाली है। ऐसे में आइए जानते हैं नवरात्रि त्योहार से जुड़ी खास बातों के बारे में यहां।
हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि 3 अक्तूबर, मंगलवार की आधी रात 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 4 अक्तूबर को रात 2 बजकर 58 मिनट पर होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 6 बजकर 16 मिनट से लेकर 7 बजकर 22 मिनट पर होगा। घटनास्थापना के लिए कुल 1 घंटा 06 मिनट का वक्त आपको मिलने वाला है। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा, जिसके लिए 47 मिनट का समय मिलेगा।
नवरात्रि पर ऐसे करें कलश स्थापना
नवरात्रि के पहले दिन व्रत रखते हुए संकल्प लिया जाता है। 2, 3 या फिर पूरे 9 दिन का उपवास रखने का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद मिट्टी की वेदी में जौ बोया जाता है औऱ इस वेदी को कलश पर स्थापित किया जाता है। हिंदू धर्म में किसी भी मांगालिक काम से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है औऱ कलश को भगवान गणेश के तौर पर देखा जाता है। कंलश को गंगाजल से साफ की गई जगह पर रखा जाता है।
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