कजरी तीज 22 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। यह त्यौहार ज्यादातर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार में मनाया जाता है। कजरी तीज का व्रत रखने से सौभाग्यवती स्त्री के परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है और कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है।
कजरी तीज पर होने वाली परंपरा
सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए कजली तीज का व्रत रखती हैं जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। इस दिन तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। इस दिन गाय की पूजा की जाती है। कजरी तीज पर घर में झूले डाले जाते हैं और महिलाएं एकत्रित होकर नाचती-गाती हैं।
कजरी तीज की पूजा विधि
- सुबह स्नान करें और साफ़ कपड़े पहनें। घर की सफ़ाई करें और पूजा स्थल को साफ़ करें।
- नीमड़ी माता की पूजा करने के लिए मिट्टी व गोबर से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाएं।
- तालाब में कच्चा दूध और जल डालें और किनारे पर एक दीया जलाकर रखें।
- थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि रखें।
- लोटे में कच्चा दूध लें और फिर शाम के समय शृंगार करने के बाद नीमड़ी माता की पूजा करें।
- चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए संध्या के समय जल से अर्घ्य दें और रोली, मोली, अक्षत चढ़ाएं।
- चांदी की अंगूठी और गेहूं के दाने हाथ में लेकर जल से अर्घ्य दें और एक ही जगह खड़े होकर चार बार घुमें।
- पूजा के बाद भोग अर्पित करें और परिवार के साथ बैठकर भोजन करें।
कजरी तीज का महत्व
- सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए कजली तीज का व्रत रखती हैं।
- कजरी तीज का व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
- कजरी तीज का व्रत रखने से शुभ फल प्राप्त होता है।
- कजरी तीज का व्रत रखने से पारिवारिक सुख और सौहार्द बढ़ता है।
- कजरी तीज का व्रत रखने से मातृ शक्ति का सम्मान बढ़ता है।