जानिए कैसे हुआ भगवान गणेश का जन्म? जिसके चलते हर घर में होती उनकी पूजा

हर शुभ काम से पहले भगवान गणेश की पूजा और ऊं गणेशाय नम: का जाप किया जाता है। गणेश उत्सव के मौके पर आइए जानते हैं गणेश जन्म कैसे हुआ।

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बुधवार का दिन भगवान गणेश का माना जाता है इस दिन भगवान गणेश की खासतौर पर पूजा की जाती है। इस बार गणेश चतुर्थी बुधवार के दिन आई है ऐसे में 10 दिनों तक भगवान गणेश जी की पूजा पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ की जाएगी पुरानी मान्यताओं की मानें तो भद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। देश के हर कोने में इस त्यौहार को लेकर उत्साह जोर शोर से देखने को मिलता है इतना ही नहीं महाराष्ट्र में तो जगह जगह पर भगवान गणेश के पंडाल बने हुए हैं 10 दिनों तक लगातार सिद्धि दाता और विघ्नहर्ता की उपासना की जाती है। हर शुभ काम से पहले भगवान गणेश की पूजा और ऊं गणेशाय नम: का जाप किया जाता है। गणेश उत्सव के मौके पर आइए जानते हैं गणेश जन्म कैसे हुआ। 

गणेश चतुर्थी की कथा के अनुसार,एक बार माता पार्वती ने स्न्नान के लिए जाने से पूर्व अपने शरीर के मैल से एक सुंदर बालक को उत्पन्न किया और उसे गणेश नाम दिया। पार्वतीजी ने उस बालक को आदेश दिया कि वह किसी को भी अंदर न आने दे,ऐसा कहकर पार्वती जी अंदर नहाने चली गई। जब भगवान शिव वहां आए ,तो बालक ने उन्हें अंदर आने से रोका और बोले अन्दर मेरी मां नहा रही है,आप अन्दर नहीं जा सकते। शिवजी ने गणेशजी को बहुत समझाया,कि पार्वती मेरी पत्नी है। पर गणेशजी नहीं माने तब शिवजी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गणेशजी की गर्दन अपने त्रिशूल से काट दी और अन्दर चले गये। 


जब पार्वतीजी ने शिवजी को अन्दर देखा तो बोली कि आप अन्दर कैसे आ गए। मैं तो बाहर गणेश को बिठाकर आई थी। तब शिवजी ने कहा कि मैंने उसको मार दिया। तब पार्वती जी रौद्र रूप धारण कर लिया और कहा कि जब आप मेरे पुत्र को वापस जीवित करेंगे तब ही मैं यहां से चलूंगी अन्यथा नहीं। शिवजी ने पार्वती जी को मनाने की बहुत कोशिश की पर पार्वती जी नहीं मानी। 


सारे देवता एकत्रित हो गए सभी ने पार्वतीजी को मनाया पर वे नहीं मानी। तब शिवजी ने विष्णु भगवान से कहा कि किसी ऐसे बच्चे का सिर लेकर आये जिसकी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो। विष्णुजी ने तुरंत गरूड़ जी को आदेश दिया कि ऐसे बच्चे की खोज करके तुरंत उसकी गर्दन लाई जाए। गरूड़ जी के बहुत खोजने पर एक हथिनी ही ऐसी मिली जो कि अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी। गरूड़ जी ने तुरंत उस बच्चे का सिर लिया और शिवजी के पास आ गये। शिवजी ने वह  सिर गणेश जी के लगाया और गणेश जी को जीव दान दिया,साथ ही यह वरदान भी दिया कि आज से कही भी कोई भी पूजा होगी उसमें गणेशजी की पूजा सर्वप्रथम होगी । इसलिए हम कोई भी कार्य करते है तो उसमें हमें सबसे पहले गणेशजी की पूजा करनी चाहिए,अन्यथा पूजा सफल नहीं होती।

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