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उत्तराखंड के जोशीमठ में घरों में आई दरारें लोगों पर परेशानी का सबब बन कर टूट पड़ा है, घरों में दरारें का सिलसिला अभी रुकने का नाम नहीं ले रहा है. यहां पिछले 24 घंटों में 50 से ज्यादा अन्य मकानों में भी दरारें देखी गईं. इससे यह आंकड़ा 723 हो गया. उधर सीएम धामी ने रात जोशी में गुजारी. इससे पहले धामी पीड़ित परिवारों से मिले. गुरुवार सुबह भूस्खलन को लेकर अधिकारियों पर पार्टी नेताओं के साथ बैठक भी करेंगे.
बर्फबारी ने बढ़ाई मुश्किलें
इस बीच जोशीमठ में बारिश और बर्फबारी की आशंका ने मुश्किल बढ़ा दी है. चमोली जिले के औली में बीती रात भारी बर्फबारी हुई है और जोशीमठ के सुनील वार्ड में भी बर्फबारी हुई. जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. प्रशासन की मुनादी के बावजूद लोग अपने घरों को छोड़ने को तैयार नहीं हैं. लोगों में गुस्सा है. इनका कहना है कि मूल्यांकन और मुआवजा तय बिना हुए वे अपनी संपत्ति कैसे छोड़ दें. कुछ लोगों को होटलों में शिफ्ट किया गया. कुछ परिवार जब इन होटलों में पहुंचे तो वहां भी दरारें थीं. इससे लोग नाराज हो गए. इनका कहना था कि जब मरना ही है तो हम अपने घरों में ही मरना पसंद करेंगे.
प्रभावितों को देने के लिए 45 करोड़ का फंड रिलीज
बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने जोशीठ के प्रभावित लोगं को देने के लिए 45 करोड़ रुपए का फंड रिलीज किया है, वहीं स्वामी रामदेव की कंपनी पतंजलि ने राहत सामग्री से भरे दो ट्रक जोशीमठ भेजे हैं. राहत राशि प्रभावितों को देने के लिए 11 सदस्यों की कमेटी बनाई गई है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ भू-धंसाव के मुद्दे पर जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की.
सीएम धानी ने कहा कि हर तरह से हम प्रभावितों के साथ
जोशीमठ भू-धंसाव पर CMधामी ने मीडिया से रुबरु होते हुए कहा कि, इस समय हम हर तरीके से जोशीमठ के लोगों के साथ खड़े हैं, पूरी सरकार उनके साथ खड़ी हैं और PM मोदी ने हर तरीके से पूरा सहयोग देने का भरोसा दिया है. यहां पर पूरी टीम काम कर रही है.
सुबह होते ही लोग अपने घरों के बरामदें में बैठ जाते हैं
जोशीमठ में घर के सर्वे को लेकर असमंजस की स्थित बनी हुई है. लोगों ने आरोप लगाया है कि सब कुछ वैसा ही है, जैसा दिख रहा है. एक कमरे में तीन-तीन परिवार रह रहे हैं. छोटे बच्चों वाले परिवारों के लिए सर्द रातें किसी बुरे सपने के समान साबित हो रही हैं. सुबह होने पर इनमें से ज्यादातर परिवार अपने घरों के बरामदों में आकर बैठ जाते हैं.
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