पीड़ित व्यक्ति मनीष ने समाचार एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा कि हमारा बचपन यहीं बीता है. हमको अचानक घर खाली करने के लिए बोल रहे हैं. शासन-प्रशासन को परवाह नहीं है, वह(अधिकारी) हमारे पास आए और घर खाली करने के लिए बोले. हमारे परिवार में 7-8 लोग हैं.
उत्तराखंड चमोली जिले में स्थित जोशीमठ में भूधंसाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है. अदालत ने सुनवाई के लिए 16 जनवरी की तारिख तय की है. बता दें कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से दायर याचिका में जोशीमठ के संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की गई है. इसके लिए अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग भी हुई है.
सभी महत्वपूर्ण चीजों को शीर्ष अदालत लाने की जरूरत नहीं: कोर्ट
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने एक टिप्पणी भी की है. कोर्ट ने कहा कि सभी महत्वपूर्ण चीजों को शीर्ष अदालत में आने की जरूरत नहीं है. इसे देखने के लिए लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई संस्थाएं हैं.
भावुक हुए पीड़ित
जोशीमठ भू-धंसाव मामले पर पीड़ित महिला बिंदू का कहना है कि हमारा 60 साल का आशियाना एक पल में खत्म हो गया. हमें नहीं पता कि हम कहां जाएंगे हमें सरकार से कुछ भी मदद नहीं मिली. वह (सरकारी अधिकारी) आए और लाल निशान लगाया और (घर) खाली करने के लिए कह दिया.
वहीं पीड़ित व्यक्ति मनीष ने समाचार एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा कि हमारा बचपन यहीं बीता है. हमको अचानक घर खाली करने के लिए बोल रहे हैं. शासन-प्रशासन को परवाह नहीं है, वह(अधिकारी) हमारे पास आए और घर खाली करने के लिए बोले. हमारे परिवार में 7-8 लोग हैं. हमने पहले भी कई बार इसके बारे में सरकार को बताया था.