चील सियारिन की कथा के बिना अधूरा है जितिया व्रत, जरूर सुनें पूरी कहानी

हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जितिया व्रत मनाया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, जितिया व्रत रखने से संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
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हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जितिया व्रत मनाया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, जितिया व्रत रखने से संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन माता को अन्न जल का त्याग करके यह व्रत रखना होता है। इस तरह से संतान में स्वस्थ जीवन की कामना पूरी होती है। जितिया व्रत की शुरुआत नहाए खाए से होती है। इस साल यात्रा 25 सितंबर से रखा जाएगा। इस दौरान 24 तारीख को नहाए खाए होगा इसके बाद 26 तारीख को प्रारंभ किया जाएगा। जितिया के व्रत में चील सियारिन की कथा जरूर सुननी चाहिए।

चील सियारिन की पूरी कथा

पौराणिक कथा के अनुसार,  एक पेड़ पर चील और सियारिन रहती थीं। दोनों की आपस में खूब बनती थी। चील और सियारिन एक-दूसरे के लिए खाने का एक हिस्सा जरूर रखती थीं। एक दिन गांव की औरतें जितिया व्रत की तैयारी कर रही थीं। उन्हें देखकर चील का भी मन व्रत करने का कर गया। फिर चील ने सारा वाक्या सियारिन को जाकर सुनाया। तब दोनों ने तय किया कि वो भी जितिया का व्रत रखेंगी। लेकिन अगले दिन जब दोनों ने व्रत रखा तो सियारिन को भूख और प्यास दोनों लगने लगी। सियारिन भूख से व्याकुल इधर-उधर घूमने लगी। व्रत के दिन गांव में किसी की मृत्यु हो गई यह देखकर सियारिन के मुंह में पानी आ गया। फिर सियारिन ने अधजले शव को खाकर अपनी भूख को शांत किया। वह भूल गई उसने जितिया का व्रत रखा है। वहीं चील ने पूरी निष्ठा और मन से जितिया का व्रत और पारण किया।

व्रत के नियम

1. व्रत के दिन निर्जला व्रत रखें।

2. व्रत के दिन केवल फल और जल लें।

3. व्रत के दिन किसी भी प्रकार का अनाज नहीं खाना चाहिए।

4. व्रत के दिन शाम को जितिया माता की पूजा करें।

5. व्रत के दिन रात में जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।

पूजा विधि

1. जितिया माता की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें।

2. माता को फल, फूल, और जल चढ़ाएं।

3. माता की आरती करें।

4. व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।

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