ऑक्सीजन की कमी से नहीं गयी कोई जान, फिर भी कम क्यों पड़े शमशान

कुछ ही दिन पहले की तो बात है,क्या आप सभी को याद है, शायद नहीं चलिए मै आपको फ्लेशबैक में ले जाती हूं

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कुछ ही दिन पहले की तो बात है,क्या आप सभी को याद है, शायद नहीं चलिए मै आपको फ्लेशबैक में ले जाती हूं. जब अस्पतालों के बेड के लिए लम्बी लाइन थी, ऑक्सीजन के लिए मारामारी थी और ट्विटर पर ट्वीट्स की लम्बी लिस्ट थी, याद है ना आपको और वो वो तो याद ही होगा जब ब्लैक में ऑक्सीजन,रेमडीसीवीर बेचे जा रहे थे, अस्पतालों में सिफारिश की जुगाड़ ढूंढ रहे थे, सीएमओ में जान पहचान निकल रहे थे, और हेल्पलाइन नंबर से भी रिस्पांस नहीं आ रहे थे, क्या सब भूल गए हो, अगर नहीं भूले हैं तो आज एक सवाल पूछिए सरकार से की क्यों कह रही है सरकार की कोई भी ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं मारा क्यों भेज रहे है झूठा अकड़ा संसद में? 

भारत में पहली और दूसरी वेव मिलाकर 4 लाख से ज्यादा लोग मारे गए लकिन इनमे से कोई भी ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं मारा है, ऐसा हम नहीं कह रहे है ऐसा कह रही है हमारे देश की सरकार. क्योंकि इनको अपनी इमेज चमकानी है, जबकि अस्पातों में  नोटिस लग गए थे कि भैया हमारे पास ऑक्सीजन नहीं है.

 सरकार ऑक्सीजन एक्सप्रेस चला रही थी, विदेशों से ऑक्सीजन मंगवाई जा रही थी. लेकिन आज सभी राज्य और सभी पार्टियां यही कह रही हैं कि कोई भी ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं मरा है. श्मशानों में भीड़ लग गयी लकिन कोई ऑक्सीजन की कमी से नहीं मारा है, गंगा की रेत में लाशें दवा दी गयी लेकिन सरकार कह रही कि कोई ऑक्सीजन की कमी से नहीं मारा है.

 दोस्तों दो किस्म के लोग होते हैं एक वो जो गलती करते हैं और अपनी गलती मान भी लेते है और दूसरे वो जो गलती करके भी मानने को तैयार नहीं  होते. अब भारत देश की राज्य सरकार और केंद्र सरकार लगता है दूसरे वालो लोगो में से है. जिसको दुनिया याद हमेशा याद रखेगी. लेकिन आज कोई आवाज उठाने को तैयार नहीं कि देश भर की सरकार ने जो आंकड़ा संसद में भेजा है वो झूठा है.

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